________________ 388] [निशीथसूत्र किन्तु आपत्ति से रक्षाहेतु किसी प्रकार की आवाज करनी पड़ जाय तो उसका प्रायश्चित्त नहीं समझना चाहिए। शब्दश्रवण-प्रासक्ति का प्रायश्चित्त 136. जे भिक्खू 1. भेरि-सहाणि वा, 2. पडह-सद्दाणि वा, 3. मुरज-सद्दाणि वा, 4. मुइंगसद्दाणि वा, 5. शंदि-सहाणि वा, 6. झल्लरी-सद्दाणि वा, 7. वल्लरि-सद्दाणि वा, 8. डमरूय-सदाणि वा, 9. मड्डय-सहाणि वा, 10. सदुय-सद्दाणि वा, 11. पएस-सहाणि वा, 12. गोलुकि-सहाणि वा अन्नयराणि वा तहप्पगाराणि वितताणि सद्दाणि कण्णसोय-वडियाए अभिसंधारेइ अभिसंधारतं वा साइज्जइ / 137. जे भिक्खू 1. वीणा-सहाणि वा, 2. विपंचि-सहाणि वा, 3. तूण-सदाणि वा, 4. वयीसग-सहाणि वा, 5. वीणाइय-सहाणि वा, 6. तुबवीणा-सहाणि वा, 7. झोडय-सहाणि वा, 8. ढंकुण-सहाणि वा अण्णयराणि वा तहप्पगाराणि तताणि सहाणि कण्णसोय-वडियाए अभिसंधारेइ अभिसंधारेतं वा साइज्जइ। 138. जे भिक्खू 1. ताल-सदाणि वा, 2. कंसताल-सद्दाणि वा, 3. लित्तिय-सद्दाणि वा, 4. गोहिय-सहाणि वा, 5. मकरिय-सदाणि वा, 6. कच्छभि-सहाणि वा, 7. महति-सहाणि वा, 8. सणालिया-सद्दाणि वा, 9. बलिया-सहाणि वा अण्णयराणि वा तहप्पगाराणि घणाणि सद्दाणि कण्णसोय-वडियाए अभिसंधारेइ, अभिसंधारेतं वा साइज्जइ / 139. जे भिक्खू-१. संख-सद्दाणि वा, 2. वंस-सहाणि वा, 3. वेणु-सहाणि वा, 4. खरमुही-सहाणि वा, 5. परिलिस-सहाणि वा, 6. वेवा-सद्दाणि वा अण्णयराणि वा तहप्पगाराणि झुसिराणि सद्दाणि कण्णसोय-वडियाए अभिसंधारेइ, अभिसंधारेतं वा साइज्जइ / 136. जो भिक्षु-१. भेरी के शब्द, 2. पटह के शब्द, 3. मुरज के शब्द, 4. मृदंग के शब्द, 5. नान्दी के शब्द, 6. झालर के शब्द, 7. वल्लरी के शब्द, 8. डमरू के शब्द, 9. मडुय के शब्द, 10. सदुय के शब्द, 11. प्रदेश के शब्द, 12. गोलुकी के शब्द या अन्य भी ऐसे वितत वाद्यों के शब्द सुनने के संकल्प से जाता है या जाने वाले का अनुमोदन करता है। 137. जो भिक्षु-१. वीणा के शब्द, 2. विपंची के शब्द, 3. तूण के शब्द, 4. बव्वीसग के शब्द, 5. वीणादिक के शब्द, 6. तुम्बवीणा के शब्द, 7. झोटक के शब्द, 8. ढंकुण के शब्द या अन्य भी ऐसे तार वाले वाद्यों के शब्द सुनने के संकल्प से जाता है या जाने वाले का अनुमोदन करता है / 138. जो भिक्षु-१. ताल के शब्द, 2. कंसताल के शब्द, 3. लत्तिक के शब्द, 4. गोहिक के शब्द, 5. मकर्य के शब्द, 6. कच्छभि के शब्द, 7. महती के शब्द, 8. सनालिका के शब्द, 9. वलीका के शब्द या अन्य भी ऐसे धनवाद्यों के शब्द सुनने के संकल्प से जाता है या जाने वाले का अनुमोदन करता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org