________________ 21] [निशीयसूत्र सूत्र 13 आगन्तुक साधु को आश्रय देने का प्रायश्चित्त / सूत्र 14 अनुपशान्त के साथ आहार करने का प्रायश्चित्त / सूत्र 15-24 प्रायश्चित्तों की विपरीत प्ररूपणा आदि का प्रायश्चित्त / सूत्र 30-33 ग्लान की सेवा का निर्देश सूयगडांग अ. 3 तथा अन्य आगमों में भी है, किन्तु यहाँ स्पष्ट सूचनायुक्त विशेष प्रायश्चित्त कहे हैं। सूत्र 36-40 पर्युषणा के विशेष विधान और प्रायश्चित्त / // दसवां उद्देशक समाप्त / / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org