________________ दूसरा उद्देशक दंडयुक्त पादपोंछन ग्रहण करने आदि का प्रायश्चित्त 1. जे भिक्खू दारुदंडयं पायपुछणं करेइ, करेंतं वा साइज्जइ / 2. जे भिक्खू दारुदंडयं पायपुछणं गेण्हइ, गेण्हतं वा साइज्जइ / 3. जे भिक्खू दारुदंडयं पायपुछणं धरेइ, धरतं वा साइज्जइ / 4. जे भिक्खू दारुदंडयं पायपुंछणं वियरइ, वियरेंतं वा साइज्जइ / 5. जे भिक्खू दारुदंडयं पायपुछणं परिभाएइ, परिभाएंतं वा साइज्जइ / 6. जे भिक्खू दारुदंडयं पायपुंछणं परिभुजइ, परिभुजंतं वा साइज्जइ / 7. जे भिक्खू दारुदंडयं पायपुंछणं परं दिवड्डाओ मासाओ धरेइ, धरतं वा साइज्जइ / 8. जे भिक्खू दारुदंडयं पायपुछणं विसुयावेइ बिसुयावेंतं वा साइज्जइ / 1. जो भिक्षु काष्ठदंडयुक्त “पादपोंछन" बनाता है या बनाने वाले का अनुमोदन करता है। 2. जो भिक्षु काष्ठदंडयुक्त "पादपोंछन" ग्रहण करता है या ग्रहण करने वाले का अनुमोदन करता है। 3. जो भिक्षु काष्ठदंडयुक्त "पादपोंछन" धारण करता है या धारण करने वाले का अनुमोदन करता है। 4. जो भिक्षु काष्ठदंडयुक्त “पादप्रोंछन" ग्रहण करने की आज्ञा देता है या देने वाले का अनुमोदन करता है। 5. जो भिक्षु काष्ठदंडयुक्त “पादपोंछन" वितरण करता है या वितरण करने वाले का अनुमोदन करता है। 6. जो भिक्षु काष्ठदंडयुक्त “पादनोंछन" का उपयोग करता है या उपयोग करने वाले का अनुमोदन करता है। 7. जो भिक्षु काष्ठदंडयुक्त "पादपोंछन' को डेढ मास से अधिक रखता है या रखने वाले का अनुमोदन करता है। 8. जो भिक्षु काष्ठदंडयुक्त “पादपोंछन" को पृथक् करता है या पृथक करने वाले का अनुमोदन करता है / ( उसे लघुमासिक प्रायश्चित्त आता है। ) Jain Education International www.jainelibrary.org. For Private & Personal Use Only