________________ दूसरा उद्देशक] 85 सूत्र 40 सूत्र 22 कृत्स्न चर्म धारण करना। सूत्र 23 कृत्स्न वस्त्र धारण करना / सूत्र 24 अभिन्न वस्त्र धारण करना। सूत्र 25 तुम्बे के पात्र का, काष्ठ के पात्र का और मिट्टी के पात्र का स्वयं परिकर्म करना / सूत्र 26 दण्ड आदि को स्वयं सुधारना / सूत्र 27 स्वजन-गवेषित पात्र ग्रहण करना। सूत्र 28 परजन-गवेषित पात्र ग्रहण करना। सूत्र 29 प्रमुख-गवेषित पात्र ग्रहण करना / सूत्र 30 बलवान-गवेषित पात्र ग्रहण करना। सूत्र 31 लव-गवेषित पात्र ग्रहण करना / सूत्र 32 नित्य अग्रपिण्ड लेना। सूत्र 33-36 दानपिंड लेना। सूत्र 37 नित्यवास बसना। सूत्र 38 भिक्षा के पूर्व या पश्चात् दाता की प्रशंसा करना। सूत्र 39 भिक्षाकाल के पहले आहार के लिए घरों में प्रवेश करना / अन्यतीथिक के साथ, गृहस्थ के साथ, पारिहारिक का अपारिहारिक के साथ भिक्षा के लिए प्रवेश करना / सूत्र 41 इन तीनों के साथ उपाश्रय से बाहर की स्वाध्यायभूमि में या उच्चार-प्रस्रवणभूमि में प्रवेश करना। सूत्र 42 इन तीनों के साथ ग्रामानुग्राम विहार करना / सूत्र 43 मनोज्ञ पानी पोना, कषैला पानी परठना / सूत्र 44 मनोज्ञ आहार खाना, अमनोज्ञ आहार परठना। सूत्र 45 खाने के बाद बचा हुअा आहार सांभोगिक साधुओं को पूछे बिना परठना / सूत्र 46 सागारिक पिण्ड ग्रहण करना। सूत्र 47 सागारिक पिण्ड खाना / सूत्र 48 सागारिक का घर आदि जाने बिना भिक्षा के लिए जाना। सूत्र 49 सागारिक की निश्रा से आहार प्राप्त करना या उसके हाथ से लेना। शेष काल के शय्या-संस्तारक की अवधि का उल्लंघन करना / चातुर्मास काल के शय्या-संस्तारक की अवधि का उल्लंघन करना। सूत्र 52 वर्षा से भीजते हुए शय्या-संस्तारक को छाया में न रखना। सूत्र 53 शय्या-संस्तारक को दूसरी बार प्राज्ञा लिए बिना अन्यत्र ले जाना। सूत्र 54 प्रातिहारिक शय्या-संस्तारक लौटाये बिना विहार करना / सूत्र 55 शय्यातर का शय्या-संस्तारकपूर्व स्थिति में किये बिना विहार करना / सूत्र 56 शय्या-संस्तारक खोये जाने पर न ढूँढना / सूत्र 57 अल्प उपधि की भी प्रतिलेखना न करना, इत्यादि प्रवृत्तियों का लघुमासिक प्रायश्चित्त पाता है। सूत्र 50 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org