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चम्पादेवी का जन्म सम्वत् १९०० (सन् १८४३) के लगभग अलीगढ़ में हुआ था। उनका विवाह दिल्ली निवासी श्री सुन्दरलाल के साथ हुआ था। उनकी मृत्यु वि० सं० १९७० (सन् १९१३) में हुई। कवि न्यामत सिंह
इनका पूरा नाम कवि न्यामत सिंह जैनी था। इन्होंने सन् १९१९ ई० में "भविष्यदत्त-तिलकसुन्दरी' नामक नाटक का प्रणयन किया था। ये अविभाजित पंजाब के हिसार-जिले के रहनेवाले अग्रवाल जैन थे। जैन समाज में इनके थियेट्रिकल गानों की बड़ी धूम थी। इनके पद आध्यात्मिक, सरस, सरल गेय और भावपूर्ण है, तथा उनमें दार्शनिक विचारों का समावेश है। कवि नयनानन्द
राजस्थान के नीबागढ़ में सदानन्द नाम के यति रहते थे। जो वैद्यक, ज्योतिष, व्याकरण एवं अरबी, फारसी के विद्वान् थे। वहाँ के राजा ने उनकी विद्वत्ता से प्राभावित होकर उन्हें पद प्रदान किया था। उन्हीं यति सदानन्द के द्वितीय पुत्र उक्त कवि नयनानन्द थे। कवि की माता का नाम लाड़ली था। उनकी दो बहिनें और पाँच भाई थे। उन्होंने अपना कुछ समय नगर काँधली में भी बिताया।
कवि नयनानन्द ने हिन्दी पद-रचना के साथ ही “गुणधर-चरित्र' नामक एक क्रान्तिकारी चरित्र-काव्य की रचना भी की, जो ऐतिहासिक दृष्टि से विशेष महत्त्वपूर्ण है। उससे कवि के समय की दिल्ली की राजनैतिक स्थिति का यथार्थ परिचय प्राप्त होता है। उसमें कवि ने सन् १८५७ की गदर का वर्णन किया है एवं अंग्रेजों ने तत्कालीन सम्राट बहादुरशाह जफर तथा उनके दो शाहजादों की कैसी दुर्गति की, इसका भी मार्मिक वर्णन किया गया है।
उक्त रचना के अनुसार वि० सं० १९१४ (सन् १८५७) में ईस्ट इण्डिया की ओर से अंग्रेज लोग भारत में राज्य कर रहे थे। दुर्नीति के वशीभूत होकर सेना को धर्म-विमुख करने के लिए अंग्रेजों ने युद्ध छेड़ दिया था। दोनो पक्षों में साढ़े चार मास तक लगातार युद्ध चलता रहा, जिसमें दिल्ली नगरी तहस-नहस हो गई। कम्पनी सरकार की ओर से सम्राट बहादुरशाह जफर को काले पानी की सजा दी गई और उसके दो शाहजादों को गला घोंटकर मार डाला गया।
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