Book Title: Adhyatma Pad Parijat
Author(s): Kanchedilal Jain, Tarachand Jain
Publisher: Ganeshprasad Varni Digambar Jain Sansthan

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Page 283
________________ ४४० ४१० १४६ १४५ ४०८ ४०५ १४४ ४२५ ४०३ ४२८ ४३३ ४४४ ہ ہ ہ w. ५२. आतम अनुभव करना रे भाई (चम्पा०) १५९ ५३. आतम अनुभव कीजै हो (द्यान०) ५४. आम जान रे जान रे जान रे (द्यान०) ५५. आतम जानो रे भाई (द्यान०) ५६. आतम रूप अनूपम (दौल०) ५७. आतम रूप अनूपम है (द्यान०) ५८. आतम रूप निहार (राम०) १५४ ५९. आतम स्वरूप सार को जाने (सुख०) १५६ ६०. आत्मा क्या रंग दिखाता नए-नए (मक्खन०) ६१. आदिनाथ तारन तरन (द्यान०) ८२ २७ ६२. आनन्द मंगल आज हमारे (जिने०) १४७ ५० ६३. आपके हिरदै सदा सुविचार (जिने०) ३१५ १११ ६४. आप में जब तक कोई आपको पाता नहीं (न्यामत०) ४४१ ६५. आपा नहीं जाना तूने, कैसा ज्ञानधारी रे (दौल०) ४२३ । १५२ ६६. आपा प्रभु जाना मैं जाना (द्यान०) १४२ ६७. आया रे बुढ़ापा मानी (भूध०) २९१ १०२ ६८. आया रे बुढ़ापा मानी (भूध०) ५६० २१० ६९. आयो सहज वसन्त खेलें सब होरी (द्यान०) ५१४ १९० ७०. आयो है अचानक भयानक असाता (भूध०) ३०२ १०६ ७१. आयौ जी प्रभु थांपै करमांरो (बुध०) २०६ ७२. आवै न भोगन में तोहि गिलान (भाग०) ५२२ ७३. इक योगी असन बनावें (नयना०) २१२ ७३ ७४. उत्तम नरभव पायकै (बुध०) ४८९ १८० ७५. उरग सुरग नरईश शीश जिस (दौल०) ९४ ३१ ७६. ऋषभ जिन आवता (महा०) ९७ ३३ ७७. ए जी मोहि तारिये (भूध०) ہ ४०० ہ २९१ ہ ہ ५१४ ہ १९४ س ४८९ ہ مر ४० or Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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