________________
( १७९ )
।
गज के बदन' शत वदन रदन े वसु रदन पै तरवर एक करी सरवर सत पणवीस' कमलिनी- कमलिनी कमल पचीस खरी री ॥ धन्य. ॥ २ ॥ कमल पत्र शत आठ पत्र प्रति नाचत अपसरा रंग भरी री ॥ कोडि" सत्ताइस गज सजि ऐसो आकर सुरपति प्रीतिधरी री ॥ धन्य ॥ ३ ॥ ऐसो जन्म महोत्सव देखत दूरि होत सब पाप टरी री 'बुध' महाचन्द्र जिके' भवमांहि देखे उत्सव सफल परी री ॥
धन्य ॥ ४ ॥
(४८७)
1
1
I
॥ ३ ॥
बधाई आली नाभिराय घर आज ॥ टेक ॥ मरुदेवी सुत ऊपजो है आदि जिनेन्द्र कुमार इन्द्रपुरी" तैं हू भली है आज अयोध्या द्वार || बधाई. ॥ १ ॥ जन्मत सुरपति आइये हैं ले ले सब परिवार मेरुशिखर पै न्हवन कियो है क्षीरोदधि जलधार ॥ बधाई. ॥ २ ॥ रूप जिनेन्द्र निहार के है तृप्त" न हुवो सुरराय सहस्र १२ नयन तब ही रचे हैं देखन को जिनराय ॥ बधाई. नाम दियो तब इन्द्र ने हैं ऋषभ देव महाराज ॥ सौपि'३ नृपति कौं नाचिके हैं निज निज स्थान विराज ॥ बधाई. ॥ ४ ॥ बीन बांसुरी नोवत्यो" है बाजत सुन झन्कार ॥ नर नारी सब ही चले हैं देखन को जिन द्वार ॥ बधाई. ॥ ५ ॥ आधि व्याधि सबही तजे हैं तज दिये घर के काज । बालक छोड़े रोवते हैं देखन को महाराज ॥ बधाई. ॥ ६ ॥ जाचक जब बहु पोषिये हैं दान देय राजेन्द्र दी अशीस यों जिनवंद्यो ज्यों दोयज" को महाचन्द्र ॥ बधाई. ॥ ७ ॥ (४८८)
रंगभीनी १६ हो ॥ देखो
देखो आज बधाई समदविजै१७ शिवादेवी ने
सुत नेमीश्वर प्रभू कीनी हो
॥
।
इन्द्र ही नाचत इन्द्र बजावत बीन वंसी सुर झीनी हो कई सचि नाचत कई सचि गावत कई करताल बजीनी १९ हो
।
१. मुख २. दांत ३. हाथी ४. सौ ५. पच्चीस ६. खड़ी है ७. सत्ताइस करोड़ ८. पाप टल गये ९. जिसके १०. इन्द्रपुरी से ११. संतुष्ट १२. हजार १३. राजा को सौंपकर १४. मंगलवाद्य १५. दूज का चांद १६. आनंद युक्त १७. विजय १८. इन्द्राणी १९. बजाई ।
Jain Education International
॥टेक॥
देखो. ॥ १ ॥
देखो. ॥ २ ॥
देखो. ॥ ३ ॥
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org