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कुमार
गया
|| देखो. ॥ २ ॥
देखो नया, आज उछाव' भया ॥ चंदपुरी में महासेन घर चंद मात लखमना सुत को गजपै हरि गिरि पै आठ सहस कलसा सिर ढारे बाजे बजत सौंपि दियो पुनि मात गोद में तांडव नृत्य सो बानिक' लखि 'बुधजन' हरषै जै जै पुर में किया ॥ देखो. ॥ ५ ॥
नया || देखो. ॥ ३ ॥
थया ॥ देखो. ॥ ४ ॥
( १७७ )
(४८०)
देखो. ॥
है
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जया
(४८१) राग - सोरठ
टेक
नाभिद्वार ॥ आज. ॥ टेक ॥
जनमै ऋषभ कुमार ॥ आज. ॥ १ ॥
आज तो बधाई हो मरुदेवी माता के उर मैं, सची इन्द्र सुर सब मिलि आये, नाचत हैं सुखकार । हरषि - हरषि पुर के नर नारी गावत मंगलचार ॥ आज. ॥ २ ॥ ऐसौ बालक हूवो ताकै गुन कौ नाहीं पार ।
तन मन बचतै बंदत 'बुधजन' है भव - तारनहार ॥ आज. ॥ ३ ॥
कवि द्यानतराय
(४८२)
राग - परज
भाई ! आज आनंद कछु
कहै न बनै ॥ टेक ॥
नाभिराय मरुदेवी नंदन, व्याह उछाह त्रिलोक भनै ॥ भाई. ॥ १ ॥ सीस मुकुट अनूपम भूषन बरनन को बरनै ॥ भाई ॥ २ ॥ गृह सुखकार रतनमय कीनो चौरी मंडप सुरगननै 'द्यानत' धन्य सुनंदा कन्या, जाको
॥ भाई ॥ ३ ॥
आदीश्वर परनै
॥ भाई ॥ ४ ॥
(४८३)
राग - परज
या
॥
॥ देखो. ॥ १ ॥
०
भाई आज आनंद
१. उत्साह २. लक्ष्मण ३. हुआ ४. रूप ५. कुछ कहते नहीं बनता ६. उत्साह ७. गले में ८. कौन वर्णन कर सकता है ९. देवताओं ने १०. विवाह किया।
नगरी ॥ टेक ॥
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