________________
(१४३)
।
२
जबलौं' भेद ज्ञान नहिं उपजै, जनम मरन दुख मरना रे ॥ १ ॥ आतम पढ़ नव तत्व वखानै, व्रत तप संजय धरना रे आतम ज्ञान विना नहि कारज जोरी संकट परनारे ॥ २ ॥ सकल ग्रन्थ दीपक हैं भाई, मिथ्यातम को हरना रे 1 कहा करै ते अंध पुरुष को जिन्हें उपजना मरना रे ॥ ३ ॥ 'द्यानत' जे भवि सुख चाहत हैं तिनको यह अनुसरना रे सोहं ये दो अक्षर जपकै भवजल पार उतरना रे
1
118 11
।
(४०२) अब हम आतम को पहिचान्यौ ॥टेक॥ जबही सेती मोह सुभट बल, खिनक एक में मान्यो ॥ १ ॥ राग विरोध विभाव भजे झर, ममता भाव पलान्यौ दरसन ज्ञान चरन में चेतन भेद रहित परवान्यौ जिहि" देखें हम अवर न देख्यों, देख्यो सो सर धान्यो १ ताको कहो कहं कैसे करि, जा जानै जिम जान्यौ पूरबभाव सुपनवत१२ देखे, अपनो अनुभव तान्यौ । 'द्यानत' तो अनुभव स्वादत ही, जनम सफल करि मान्यौ
1
1
॥ ३ ॥
१४
॥ ४ ॥
11
(४०३) आतम रूप अनूपम है, घटमांहि १५ विराजै ॥ टेक जाके सुमरन' जापसों, भव भव दुख भाजै हो ॥ आतम. ॥ १ ॥ केवल दरसन ज्ञान मैं थिरता पद छाजै हो । उपमा को तिहु" लोक में कोउ वस्तु न राजै हो ॥ आतम. ॥ २ ॥ सहै परीषह भार जो, जु महाब्रत" साजै हो ज्ञान बिना शिव नाला है बहु कर्म उपाजै हो । आतम. ॥ ३ ॥ तिहुँ लोक तिहुँ काल में नहिं और इलाजै २१ हो 1 'द्यानत' ताको जानिये, निज स्वारथ २२ काजै हो ॥ आतम ॥ ४ ॥
१. जब तक २. कार्य ३. योनि ४. अनुसरण करना ५. पहचाना ६. जब से ७. एक क्षण में जान गये ८. भाग गया ९. समझा १०. जिसको ११. श्रद्धान किया १२. स्वप्न की तरह १३. फैलाया १४. स्वाद लेते ही १५. आत्मा में १६. स्मरण १७. भाग जाते हैं १८. तीन लोक में १९. पंच महाव्रत २०. ज्ञान के बिना मोक्ष प्राप्त नहीं होता २१. इलाज २२. आत्म-कल्याण के लिए ।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org