________________
(९२)
(२६२) राग - असावरी जोगिया ताल धीमो तेतालो तू काई' चालै लाग्यो रे लोभीड़ा, आयो छै' बुढ़ापो ॥ तू. ॥ टेक ॥ धंधा याही अंधा है कै क्यों खोवै छै आपरे॥तू. ॥१॥ हिमत घटी थारी सुमत मिटी छै भाजि गयो तरुणापो। जम ले जासी सब रह जासी संग जाकी पुन पापो रे ॥तू. ॥ २ ॥ जग स्वारथ को कोइ न तेरो, यह निह. उर थापो° 'बुधजन' ममत मिटावो मनतें, करि मुख श्री जिन जापो रे ॥तू. ॥ ३ ॥
(२६३)
___ राग - असावरी जदल तेतालो आगें कहा करसी २ भैया, आ जासी३ जब काल रे ॥ टेक ॥ यहां तो तैने पोल मचाई, वहां ६ तौ होय समाल रे ॥१॥ झूठ कपट करि जीव सतायो, हरया पराया माल रे। सम्पति सेती धाप्या" नाहीं तकी विरानी बाल रे ॥२॥ सदा भोग में भगत° रहया तू लख्या नहीं निज हाल रे। . सुमरन दान किया नेहीं भाई, हो जासी पैमाल रे२२ ॥ ३ ॥ जोवन२३ में जुवती संग भूल्या, भूल्या जब था बालरे । अब हूं धारा ‘बुधजन' समता, सदा रहहु खुश" हाल रे ॥ ४ ॥
(२६४) धर्म बिना कोई नहीं अपना, सब संपति धन थिर नहिं जग में, जिसा२६ रैन सपना ॥ धर्म. ॥ टेक ॥ आगे किया सो पाया भाई, याही है निरना२७ ।। अब जो करेगा सो पावैगा, तातै धर्म करना ॥ धर्म. ॥१॥ ऐसैं सब संसार कहत हैं धर्म कियें तिरना२८ । परपीड़ा विसनादिक सेवें, नरक विषै९ परना३° ॥धर्म. ॥२॥ नृप के कर सारी सामग्री, ताकै ज्वर तपना ।
१. क्यों २. है ३. खोता है ४. ताकत कम हो गई ५. तुम्हारी ६. जवानी ७. ले जायेगा ८. पाप ९. निश्चय १०. स्थापित कर लो ११. जाप १२. करुंगा १३. आ जायेगा १४. मृत्यु १५. यहां से १६. वहां १७. किया १८. संतुष्ट होना १९. दूसरे की स्त्री देखी २०. लीन २१. देखा नहीं २२. बरबाद २३. जवानी २४. बच्चा था २५. प्रसन्न २६. जैसे रात्रि का स्वप्न २७. निराई करना २८. पार होना २९. में ३०. पड़ना ३१. उस को ज्वर आना।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org