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( ३३ )
बुध महाचंद (पद ९७-९९)
(९७)
ऋषभ जिन आवता' ये माय, अमारे मोरी नग्न दिगम्बर काय ॥ टेक ॥ सब नर नारी मिल देखिया ए माय, अमा मोरी नजर भेंट बहू लेय ॥ ऋषभ ॥ १ ॥ कइ गज कइ अश्व देवैं ये माय, अमा मोरी कइ यक कन्या देता । ऋषभ ॥ २ ॥ कइ रतन नजर" कर्या हे माय, अमा मोरी केई वस्त्र अपार ॥ ऋषभ ॥ ३ ॥ इत्यादिक वस्तु देवैं हे माय, अमा मोरी वे कछू लेते नांय ॥ ऋषभ ॥ ४॥ क्या जाने क्या चाहि ँ है ए माय, अमा मोरी धन वे कछू मन लेय ॥ ऋषभ ।। ५ ।। ऐसे जिन मोकू' मिलो ए माय, अमा मोरी बुध महा चन्द्र के भाव ॥ ऋषभ ॥ ६॥
(९८)
॥
॥ मन.
१२
मन बैरागी जी नेमीश्वर स्वामी शिवपुर गामी' जी ॥ मन बै. ॥ टेक ॥ अपनूं राज राखन के कारण कृष्ण कपट" कर लीनूं जी उग्रसैन पुत्री राजुल से ब्याह रचीनूं जी छपन कोड़ि जादव मिल भेला १ खूब बरात बणाई ? जी तोरण १३ से रथ फेर जिनेश्वर उर्जयंत गिरि ठाड़े कांकण १४ डोरा तोड़ मोड़कर दिक्षा" मांडी जी घातिया घाति अघाति बहुबिधि मोक्ष महल गिर ठाड़े जी बुध महाचन्द्र जान जिन सेवे नोनिध १६ लागीजी ॥ मन. ॥ ४ ॥
१५
॥
I
(९९) रमते बाल ब्रह्मचारी ॥मि.
नेमि टेर ॥ हास्य १७ विनोद करै हरि रामा" देवर लखि निज संसारी ॥ मि. ॥ १ ॥ कोऊ कहत देवर तुम परणू" देखो षोड़स सहस्र कृष्णधारी ॥ नेमि ॥ २ ॥ कोई कहैं देवर तुम नहीं सूर ये कहु तिय तुम नहिकारी ॥ मि. ॥ ३ ॥ कामखेल" करती कर करसे नेमिनाथ न२१ भये विकारी ॥ नेमि ॥ ४ ॥ बुध महाचन्द्र शील की महिमा तियमधि ? रहते अविकारी ॥ नेमि ॥ ५॥
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॥ १ ॥
॥ २ ॥
जी
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मन. ॥ ३ ॥
१. आते हैं २. मां ३. अम्म ४. मेरी ५. भेंट कीं ६. कुछ नहीं लेते ७. क्या चाहते हैं ८. मुझको ९. मोक्ष गामी १०. छल ११. इकट्ठे हुए १२. बनाई १३. दरवाजे से १४. कंगन १५. दीक्षा ली १६. नव निधि १७. हंसी मजाक १८. कृष्ण की पत्नी १९. विवाह करलूं २०. कामक्रीड़ा २१. विकार उत्पन्न नहीं हुआ २२. स्त्रियों में ।
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