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(१०५)
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पद्म'
दरशावन
॥ टेक ॥
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॥ पद्म. ॥ १ ॥
पद्म सद्म पद्मा, मुक्ति कलिमल ́ गज्जन' मन अलि रंजन मुनिजन शरन सुपावन है जार्की ́ जन्मपुरी कुशंबिका, सुर नर नाग रमावन है जास जन्म दिन पूरव षट नव, मास रतन बरसावन है जातप थान पपोसा गिरि सो आत्म ज्ञान थिर" थावन है । केवल जोत उदोत भई सो मिथ्यातिमिर नसावन है ॥ पद्म ॥ २ ॥ जाको शासन पंचाननसों १२ कुमति मतंग' नशावन हैं । राग बिना सेवक जन तारक, पै तसु रुष तुष भावन है || पद्म ॥ ३ ॥ जाकी महिमा के बरननसों सुरगुरु बुद्धि थकावन है । 'दौल' अल्पमतिको कबहो जिमि, १४
१३
.१६
शशुक" गिरिंद६ ढकावन है ॥ पद्म ॥ ४ ॥
है 1
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हैं
२१
कु. ॥ टेक ॥
.२३
कुन्थन" के प्रतिपाल" कुंथु जग, तार सार गुन धारक वर्जित ग्रन्थ कुवंथवितर्जित, " अर्जित पंथ अमारक १२ हैं जाकी समवसरन बहिरंग, रमा गनधार अपारक हैं । सम्यग्दर्शन बोध चरण अध्यात्म रमा भरभारक हैं ॥ कु. ॥ १ ॥ दशधा धर्म पोतकर २४ भव्यन, को भव सागर तारक है । वर समाधि वनधन विभावरज १५ पुंज निकुंज निवारक हैं ॥ कु. ॥ २ ॥ जासु ज्ञान नभ में अलोक जुत लोक यथा इक तारक हैं । जासु ध्यान हस्ताबलम्ब२७ दुख कूप विरूप उधारक है ॥ कु ॥ ३ ॥ तज छह खंड कमला प्रभु अमला तप, कमला आगारक है ।
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द्वादश सभा सरोज सूर भ्रम तरू अंकुर उपकारक है ॥ कु. ॥ ४ ॥ गुणा अनन्त कहि लहत" अंत को सुरगुरु से कुछ हारक हैं नमें 'दौल' हे कृपाकंद भव द्वंद टार बहुवारक हैं
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॥ कु. ॥ ५ ॥
१. कमल सदन २. मुक्ति कमल ३. बताने वाले ४. पापो को ५. नाश करने वाले ६. मन रूपी भौरे को खुश करने वाले ७. पवित्र ८. जिसकी ९. १५ माह १०. स्थिर होना ११. मिथ्यात्व रूपी अंधकार १२. सिंह १३. हाथी १४. जिस प्रकार १५. बच्चा १६. पर्वत को १७. ढांकना १८. जीवों के १९. पालने वाले २०. गुनों के धारक २१. खोटे पंथ को तर्जित करना २२. अमर २३. लक्ष्मी २४. जहाज २५. विभावरूपी धूल २६. दूर करने वाला २७. हाथ का सहारा २८. उद्धार करने वाला २९. पाता है ।
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