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(२३) सुमरन करत परम सुख पावत, सेवत भाजै काल' ॥रे मन.॥ २ ॥ इन्द्र फनिंद चक्रधर गावै, जाको नाम रसाल । जाकों नाम ज्ञान परगासैं, नाशै मिथ्या जाल ॥रे मन. ॥ ३ ॥ जाके नाम समान नहीं कछु, उरध, मध्य पताल । सोई नाम जपो नित ‘द्यानत', छोड़ि विषय विकराल रे मन. ॥४॥
(७०) मैं नेमिजी का बंदा, मैं साहिब जी का बंदा ॥टेक ॥ नैन चकोर दरस को तरसैं, स्वामी पूरन चंदा ॥ मैं. ॥ १ ॥ छहों दरव में सार बतायो, आतम आनंद बंदा । ताको अनुभव नितप्रति कीजै, नासै सब दुख दंदा ॥ मैं. ॥ २ ॥ देत धरम उपदेश भविक प्रति, इच्छा नाहिं करंदा । राग-दोष-मद-मोह नहीं, नहीं क्रोध-छल छंदा ॥ मैं. ॥ ३ ॥ जाको जस१ कहि सकें न क्योंही २ इंद फनिंद नरिंदा ॥ मैं. ॥ ४ ॥
(७१) अरहंत सुमर मन बावरे ॥ टेक॥ ख्यात लाभ पूजा तजि भाई, अन्तर प्रभु लौ लखरे ॥१॥ नरभव पाय अकारथ खोवै, विषय भोग जुबढावरे । प्राण गये पछितैहै मनवा," छिन छिन छीजै" आवरे९ ॥२॥ जुबती तन धन सुत मित परिजन गज तुरंग२१ रथ चावरे । यह संसार सुपन२२ की माया आंख दिखरावरे ॥ अर.॥ ३ ॥ ध्यान ध्याव रे अब है दावरे२३ नाहीं मंगल गावरे । 'द्यानत' बहुत कहां लौं कहिये, फेर न कहू उपावरे॥ ४ ॥
(७२) बन्दौ नेमि, उदासी मद२५ मारनै कौ ॥ टेक ॥ रजमतसी२६ जिन नारी छाँरी,२७ जाय भये बनवासी ॥१॥ हय गय रथ पायके सब छांड़े तोरी२८ ममता फांसी ।
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१. यमराज (मृत्यु) २. प्रकट करते हैं ३. भयंकर ४. भक्त ५. पूर्णचन्द्र ६. द्रव्य ७. नष्ट होता है ८. दुख दून्दू ९. करदा १०. छल कपट ११. यश १२. किसी प्रकार भी १३. बावला १४. हृदय १५. व्यर्थ १६. पश्चाताप करेगा १७. मन १८. नष्ट होती है १९. आयु २०. युवति २१. घोड़ा २२. स्वप २३. नौका २४. उपाय २५. घमंड २६. राजुलसी २७. छोड़ी २८. तोड़ी।
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