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(१४)
(४०)
राग-ख्याल कान्हड़ी एजी मोहि तारिये शान्ति जिनंद ॥ टेक ॥ तारिये-तारिये अधम' उधारिये, तुम करुना के कंद एजी. ॥१॥ हथनापुर जनमैं जग जानें विश्वसेन नृपनंद ॥एजी. ॥२॥ धनि वह माता एरादेवी, जिन जाये जगचंद ॥एजी. ॥३॥ 'भूधर' विनवै दूर करो प्रभु, सेवक के भव द्वंद ॥एजी. ॥४॥
राग-ख्याल अब नित नेमि नाम भजौ ॥ टेक ॥ सच्चा साहिब यह निज जानौ, और अदेव तजौ ॥ अब. ॥१॥ चंचल चित्त चरन थिर राखो, विषयन” वरजौ ॥ अब. ॥ २॥
आनन से गुन गाय निरन्तर, पानन पांय जजौ ॥ अब. ॥ ३ ॥ 'भूधर' जो भवसागर तिरना, भक्ति जहाज सजौ ॥ अब. ॥ ४ ॥
(४२)
राग-प्रभाती अजित जिन विनती हमारी मान जी, तुम लागै मेरे प्रानजी ॥ टेक ॥ तुम त्रिभुवन में कलप तरोवर, आस भरों भगवान जी ॥अजित. ॥१॥ वादि अनादि गयो भवभ्रमतै, भयो बहुत कुल कानजी ॥ भाग संजोग मिले अब दीजे, मनवांछित वरदानजी ॥अजित. ॥२॥ ना हम मां- हाथी घोड़ा ना कछु संपति आनजी । 'भूधर' के उर बसो जगतगुर, जबलौ पद निरवानजी ॥अजित. ॥३॥
(४३)
राग-ख्याल बरवा 'देखन को आई लाल मैं तो तेरे देखन को आई' यह चाल। म्हें तो थाकी २ आज महिमा जानी ॥ टेक ।
१.पापी का उद्धार कीजिए २.विनय करता है ३.स्वामी ४.स्थिर ५.रोको ६. मुँह से ७.हाथों से ८.कल्पतरु ९.व्यर्थ १०.दूसरी ११.मैंने तो १२.आपकी ।
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