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राग काफी तू जिनवर स्वामी मेरा, मैं सेवक प्रभु हो तेरा ॥ टेक ॥ तुम सुमरन' बिन मैं बहु कीना, नाना जोनि' बसेरा । भाग उदय तुम दरसन पायो, पाप भज्यो तजि खेरा ॥तू जिनवर. ॥१॥ तुम देवाधिदेव परमेसुर, दीजै दान सबेरा । जो तुम मोख देत नहिं हमको, कहाँ जायँ किंहि डेरा ॥तू जिनवर. ॥२॥ मात तात तूही बड़ भ्राता, तोसों प्रेम घनेरा । द्यानत तार निकार जगततें, फेर न है भवफेरा ॥तू जिनवर. ॥३॥
सुन मन नेमि जी के बैन ॥ टेक॥ कुमति नासन ज्ञान भासन, सुख करन दिन रैन ॥ सुन. ॥ १ ॥ वचन सुनि बहु होंहि चक्री,° बहु लहैं पद मैन । इन्द्र चंद फनिंद पद लै आतम शुद्धन ऐन २ ॥ सुन. ।। २ ।। वैन सुन बहु मुक्त पहुँचे, वचन बिनु एकै न । है अनक्षर रूप अक्षर, सब सभा सुख दैन'३ ॥ सुन. ॥ ३ ॥ प्रगट लोक अलोक सब किय,४ हरिय५ मिथ्या सैन। वचन सरधा करौ 'द्यानत' ज्यों लहौ पद चैन ॥ सुन. ॥ ४ ॥
(५९) चल देखें प्यारी, नेमि नवल व्रतधारी ॥ टेक ॥ राग दोष बिन शोभन मूरति, मुकतिनाथ अविकारी ॥ चल. ॥ १ ॥ क्रोध बिना किम करम विनाशै, यह अचरज मन भारी ॥ चल. ॥ २ ॥ वचन अनक्षर सब जिय समझें, भाषा न्यारी न्यारी । चल. ॥ ३ ॥ चतुरानन सब खलक पिलाकैं, पूरव मुख प्रभुकारी ॥ चल.॥ ४ ॥ केवलज्ञान आदि गुण प्रगटें, नेकु न मान कियारी ॥ चल. ॥५॥ प्रभु की महिमा प्रभु न कहि सकें, हम तुम कौन विचारी ॥ चल ॥ ६ ॥ 'द्यानत' नेमिनाथ बिन आली,२२ कह मो२३कौं को तारी२५ ॥ चल. ॥७॥ १. स्मरण २. योनि ३. भागा ४. गांव (खेड़ा) ५. मोक्ष ६. बहुत अधिक ७. वचन ८. नष्ट करने को ९. दिन रात १०.चक्रवर्ती ११. कामदेव १२. शुद्ध करने का मार्ग १३. सुख देने वाला १४. किया १५. हरण किया १६. सेना १७. कैसे १८. अलग-२ १९. चार मुख २०. संसार २१. जरा भी मान नहीं किया २२. सखी २३. मुझको २४. कौन २५. तारेगा।
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