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आत्मा और परमात्मा के बीच अतर-भग
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मात्मा और गेरी मामा के बीच में अन्नर क्यो पटा? उस अन्तर को मिटाने का क्या उपाय है ? गले समाधान के रूप में उन्हे ज्ञात हुआ कि अपनी आत्मा का पर (नाम आदि) के साथ यु जनकरण के कारण जो सयोगसम्बन्ध है अथवा हो रहा है, उने गुणकरण द्वारा मिटाना ही परमात्मा और आत्मा के बीच अनादि कर्मों के मयोग के कारण परे हुए अन्नर को मिटाना है। अत वे उक्त उपाय को जजमाने के लिए उधन हो गए और उसके शुभपरिणामो का दिग्दर्शन करा कर परमात्मा गे अपनी जात्मा की एकता स्थापित करने की आशा में प्रतीक्षारत है।
वास्तव में, परमात्मा ने आत्मा की इस प्रकार की एकता होगी, तभी सच्ची भक्ति, यथार्थ प्रीनि, यथार्थ मेवा-उपासना, सत्यदर्शन, आदि सिद्ध होगे।