Book Title: Adhyatma Darshan
Author(s): Anandghan, Nemichandmuni
Publisher: Vishva Vatsalya Prakashan Samiti

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Page 550
________________ ५२८ अध्यात्म-दर्शन सारांश इम स्तुति मे श्रीआनन्दघनजी ने मर्वोच्च आत्मिक गुणो के पुज एव आत्मा के ज्ञानगुण की पूर्णता को प्राप्त श्रीपार्श्वनाथ परमात्मा के गुणो के माध्यम से आत्मा के मर्वोच्च गुणो की आराधना कैसे हो मकती है ? परमात्मा (शुद्ध आत्मा) किस गुण से सर्वव्यापक, द्रव्यक्षेत्रकाल-भाव की अपेक्षा से कहा जा मकता है, वह अन्यदर्शनीय मत की तरह सर्वद्रव्यव्यापी क्यो नही है, इसकी विशद चर्चा की है। फिर शुद्ध आत्मा (परमात्मा) की सर्वज्ञता अकाट्य युक्ति द्वारा सिद्ध की है। अन्त मे, पार्श्वनाथप्रभु की पारसमणि के पूर्णरस से तुलना करके आनन्दधनजी ने अपनी आत्मा मे भी प्रतिक्षण आत्मगुणस्पर्श से वैसी शक्ति वाले पारस की कल्पना की है। और पार्श्वनाथ के समान पारम बनने की कामना की है।

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