Book Title: Viroday Mahakavya Aur Mahavir Jivan Charit Ka Samikshatmak Adhyayan
Author(s): Kamini Jain
Publisher: Bhagwan Rushabhdev Granthmala
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वीरोदय महाकाव्य और भ. महावीर के जीवनचरित का समीक्षात्मक अध्ययन
से रावण के वध होने की भविष्य वाणी सुनकर विभीषण आपको मारने आ रहा है।" नारद द्वारा यह सूचना प्राप्त कर दशरथ राजधानी छोड़कर चले गये। स्वयंवर में दशरथ द्वारा कैकेयी का वरण करने पर अन्य राजाओं ने रूष्ट होकर उन पर आक्रमण कर दिया। कैकेयी द्वारा सहायता करने पर दशरथ ने कैकेयी को वरदान दिया ।
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अपराजिता के गर्भ से एक पुत्र हुआ। जिसका मुख पद्म जैसा सुन्दर होने से 'पद्म' नाम रखा गया। इन्हीं का दूसरा नाम "राम" है। एक बार राम (पद्म) अर्ध बर्बरों के आक्रमण से जनक की रक्षा करते हैं, जनक प्रसन्न होकर अपनी औरस पुत्री सीता का विवाह राम के साथ कर देते हैं। कैकेयी भरत को गृहस्थ बनाने की कामना से दशरथ से राज्याभिषेक की याचना करती है। राम स्वयं अपनी इच्छा से सीता सहित वन को चले जाते हैं। जब राम दण्डकारण्य में पहुँचते हैं तो लक्ष्मण को एक दिन तलवार की प्राप्ति होती है । वे शक्ति - परीक्षण हेतु उससे झुरमुट को काटते हैं तभी असावधानी से चन्द्रनखा के बेटे शंबुक की हत्या हो जाती है। रावण की बहन चन्द्र, खा अपने पुत्र की खोज में वहाँ आती है तब इन दोनों भाईयों (राम एवं लक्ष्मण) में से किसी एक को अपना पति बनने की उनसे याचना करती है । इधर रावण अपनी बहिन की रक्षा हेतु आता है और सीता पर मुग्ध हो उसका हरण कर लेता है ।
अन्त में राम रावण पर चढ़ाई कर देते हैं। सीता की अग्नि परीक्षा होती है, जिसमें वह निष्कलंक सिद्ध होती है और उसी समय वह साध्वी बन जाती है। लक्ष्मण की अकस्मात् मृत्यु हो जाने पर राम शोकाविभूत हो दीक्षा ग्रहण कर लेते हैं तथा कठोर तप करके निर्वाण प्राप्त करते हैं । सुरसुन्दरीचरियं
यह एक प्रेमाख्यानक चरित महाकाव्य है । इसमें 16 परिच्छेद या सर्ग हैं और प्रत्येक में 250 पद्य हैं। इस महत्त्वपूर्ण चरितकाव्य के रचयिता धनेश्वरसूरि हैं ।
कथावस्तु
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नायिका के चरित का विकास दिखलाने के लिये कवि द्वारा