Book Title: Viroday Mahakavya Aur Mahavir Jivan Charit Ka Samikshatmak Adhyayan
Author(s): Kamini Jain
Publisher: Bhagwan Rushabhdev Granthmala
View full book text
________________
103
वीरोदय का स्वरूप
जितेन्द्रिय महापुरूष हैं, किन्तु अज्ञानतावश हम उन्हें नहीं जान पाते हैं । अन्त में दिव्य गुणों से विभूषित इस महाकाव्य के चरित - नायक भगवान महावीर को हम प्रणाम करते हैं। उनकी कीर्ति धरा पर अक्षय बनी रहे । काव्य की महत्ता
1. काव्य - साहित्य - मर्मज्ञ विद्वानों ने काव्य की महत्ता का निर्देश करते हुए बतलाया है कि काव्य - कथा का नायक धीरोदात्त हो, उसका चरित्र उत्तरोत्तर चमत्कारी हो ।
2. प्रत्येक कार्य के पूर्ण होने में कोई विघ्न-बाधा न आये, इसलिये व्यक्ति अपनी बाधाओं को दूर करने के लिये कार्यारम्भ में अपने इष्टदेव की प्रार्थना करता है। महाकवि ज्ञानसागर ने भी 'वीरोदय' के प्रारम्भ में मंगलाचरण के रूप में श्री चन्द्रप्रभ भगवान की स्तुति की है । यथा चन्द्रप्रभं नौमि यदङ्गसारस्तं कौमुदस्तोममुरीचकार । सुखञ्जन: संलभते प्रणश्यत्तमस्तयाऽऽत्मीयपदं समस्या ।। 3 ।। - वीरो.सर्ग.1 ।
-
3. भ. महावीर जैनधर्म के अन्तिम तीर्थंकर थे। भारतवर्ष में ऋषभदेव के समान ही उनकी भी प्रसिद्धि है । इन्हीं के जीवन पर यह काव्य आधारित है। इसका कथानक महापुराण से लिया गया है।
4. इस काव्य में 'मोक्ष' पुरूषार्थ की सिद्धि की गई है। कार्तिक मास की चतुर्दशी की रात्रि को वीर भगवान ने मुक्ति - लक्ष्मी का वरण किया ।
5. वीरोदय काव्य के नायक लोक - विश्रुत भगवान महावीर में एक नायक के सभी गुण हैं। वे परम धार्मिक, अद्भुत सौन्दर्यशाली, सांसारिक राग से दूर, जैनधर्म के उद्धारक, दुखियों का कल्याण करने वाले हैं।
6. इसमें विविध स्थलों और वृत्तान्तों का भी यथास्थान वर्णन है । समुद्र का भी सुन्दर वर्णन किया गया है । पूर्वकाल में देश, नगर और ग्राम कैसे होते थे, वहाँ के मार्ग और बाजार कैसे सजे रहते थे ? इसका भी सुन्दर वर्णन दूसरे सर्ग में किया गया है।