Book Title: Viroday Mahakavya Aur Mahavir Jivan Charit Ka Samikshatmak Adhyayan
Author(s): Kamini Jain
Publisher: Bhagwan Rushabhdev Granthmala
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वीरोदय महाकाव्य और म. महावीर के जीवनचरित का समीक्षात्मक अध्ययन समवशरण में प्रविष्ट हुए। वहाँ तीर्थंकर महावीर के उपदेशों से इतने अधिक प्रभावित हुए कि उन्होंने महारानी गन्धर्वदत्ता के पुत्र वसुन्धर कुमार को राज्य देकर नन्दाढ्य, मधुर आदि भाइयों और मामा के साथ दिगम्बर दीक्षा ले ली। अन्य राजाओं पर प्रभाव
अर्हद्दास सेठ के सुपुत्र जम्बुकुमार तो (उसी दिन विवाह करके लाई हुई अपनी सर्व स्त्रियों को सम्बोधन कर) भगवान से दीक्षा लेकर गणनायक बने। जम्बूकुमार के साथ विद्युच्चोर भी अपने पाँच सौ साथियों के साथ श्रमणपना अंगीकार कर आत्मज्ञान को प्राप्त हुआ। सूर्यवंशी राजा दशरथ और उसकी रानी सुप्रभा वीर-शासन को स्वीकार कर जैनधर्म-परायण हुए।
राजपुर्या अधीशानो जीवको महतां महान्। श्रामण्यमुपयुञ्जानो निर्वृत्तिं गतवानितः ।। 24।। श्रेष्ठिनोऽप्यर्हद्दासस्य नाम्ना जम्बूकुमारकः । दीक्षामतः समासाद्य गणनायकतामगात्।। 25 ।। विद्युच्चौरोऽप्यतः पञ्चशतसंख्यैः स्वसार्थिभिः । समं समेत्य श्रामण्यमात्मबोधमगादसौ।। 2611 सूर्यवंशीयभूपालो
रथोऽभूद्दशपूर्वकः । सुप्रभा महिषीत्यस्य जैनधर्मपरायणा।। 27 ।।
-वीरो.सर्ग.151 इस प्रकार भारतवर्ष के अनेक राजाओं को प्रभावित करता भ. महावीर-रूप धर्म-सूर्य के वचन-रूप किरणों का समूह संसार में सत्य तत्त्व का प्रचार करता हुआ सर्व ओर फैला।
. यद्यपि भगवान महावीर के उपदेश विश्व-मात्र के कल्याण के लिए थे, किन्तु जिन लोगों ने इसे धारण किया, वे उसके अनुयायी कहे जाने लगे। उनके मंगलकारी उपदेश प्राणीमात्र नतमस्तक हो श्रद्धापूर्वक