Book Title: Viroday Mahakavya Aur Mahavir Jivan Charit Ka Samikshatmak Adhyayan
Author(s): Kamini Jain
Publisher: Bhagwan Rushabhdev Granthmala
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334 वीरोदय महाकाव्य और भ. महावीर के जीवनचरित का समीक्षात्मक अध्ययन कतिपय विशिष्ट नामों का उल्लेख -
नागार्जुन- 15/38, भीष्म पितामह- 8/40, पाण्डव- 8/40, मरीचि- 11/8, सुदामा- 11/36, चामुण्डराय- 15/40, नेमिचन्द्र सि. च. 15/40, समन्तभद्र- 1/24, अकलंक- 1/25, प्रभाचन्द्र 1/25, पूज्यपाद- 3/7, महेश्वर- 3/13, अकलंक-4/39, देवागम- 4/39, आप्तमीमांसा-4/39, शीतलप्रसाद-9/22, शुभचन्द्रसिद्धान्तदेव- 15/38, दरवारि-9/381 श्मश्रू स्वकीयां वलयन्- 1/34 अर्धशत्रे लगेन्नवोढापि धवस्य गात्रे- 9/39 न कोऽपि कस्यापि वभूव वश्य:- 1/38 निद्रायतेऽन्यस्य पुनः कथेतः - 12/16 अस्मिन् भुवो भाल इयद्विशाले- 2/21 दिनानि दीर्घाणि कुतो भवन्ति - 12/20 भूयो भवन् वार्दल आशुकारी- 4/13 पतंग-तंत्रायित-चित्तवृत्तिः - 12/25 पत्राणि वर्षा कलमं च लातुम्- 4/13 झलंझलावशीभूता - ध्वजा - 10/13 रदेषु कर्तुं मृदु मंजनं च - 5/9 सत्यागृह-प्रभावेण महात्मा - 10/34 चकार काचित्तिलकं तु भाले - 5/13 स्वराज्यप्राप्तये सत्याग्रह-धुरंधरः - 11/39 चिक्षेप कण्ठे मृदु पुष्पहार - 5/14 दध-विचित्रां तु निजीयलीलाः -- 11/7 कुहू करोतीह पिक-द्विजाति - 6/19 चलत्यथोत्थाय सतां वतंसः - 11/22 एकान्विता वीजनमेव कर्तुम् - 5/39 कर्षन्ति पुच्छं करिणः करेण - 12/4 पलाशनामस्मरणादथायं समीहते स्वां महिला सहायम्- 6/27 पूषेव कल्ये कुहरं प्रसद्य - 12/41
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