Book Title: Viroday Mahakavya Aur Mahavir Jivan Charit Ka Samikshatmak Adhyayan
Author(s): Kamini Jain
Publisher: Bhagwan Rushabhdev Granthmala

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Page 365
________________ 336 वीरोदय महाकाव्य और भ. महावीर के जीवनचरित का समीक्षात्मक अध्ययन सग्रन्थ-कन्था विवरात् - 9/25 कुटीरकोणे कुचितांगको - 9/25 निरीहता फेनिलतोऽपसार्य -सन्तोषवारीत्युचितेन चार्य -20/2 समेत्य मातुर्निकटं तदाऽथ – 5/6 जलायितत्त्वं करकेषु पश्यन् – 20/6 क्षेत्रेभ्य आकृष्य फलं खलेषु निक्षिप्यते चेत्कृषकैस्तु तेषु -21/12 हिंसां स दूषयति हिन्दूरियं निरूक्तिः - 22/13 संसिद्धमालुकमलादि पुनः सचित्तम्- 22/23

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