Book Title: Viroday Mahakavya Aur Mahavir Jivan Charit Ka Samikshatmak Adhyayan
Author(s): Kamini Jain
Publisher: Bhagwan Rushabhdev Granthmala
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श्रवणधर्म में तीर्थकर परम्परा और म. महावीर तथा महावीर चरित-साहित्य..... : अर्हन्त व तीर्थकर की गरिमा से मण्डित हुये। प्रत्येक प्राणी के कल्याण हेतु उन्होंने असहनीय कष्ट उठाया किन्तु मानवता की मर्यादा पर आंच नहीं आने दी। उन्होनें सम्पूर्ण संसार के लिये हितकारी धर्म का उपदेश दिया।
सब्जगस्स हिदकरो धम्मो तित्थंकरेहिं अक्खादो।
वस्तुतः तीर्थकर महावीर के चरित में एक महामानव के सभी गुण विद्यमान थे। वे स्वयंबुद्ध और निर्भीक साधक थे। अहिंसा ही उनका साधना -सूत्र था। उनके मन में न कुण्ठाओं को स्थान था और न तनावों को। यही कारण था कि इन्द्रभूति गौतम जैसे तलस्पर्शी ज्ञानी पण्डित भी महावीर के दर्शनमात्र से प्रभावित हुए और उनके शिष्य बने । ब्रह्मचर्य की उत्कृष्ट साधना और अहिंसक अनुष्ठान ने महावीर को पुरूषोत्तम बना दिया था। श्रेष्ठ पुरूषोचित सभी गुणों का समवाय उनमें था। निस्सन्देह वे विश्व के अद्वितीय क्रान्तिकारी, तत्त्वोपदेशक और जननेता थे। उनकी क्रान्ति एक क्षेत्र तक सीमित नहीं थी, उन्होंने सर्वतोमुखी क्रान्ति का शंखनाद किया। पारम्परिक खण्डन-मण्डन में निरत दार्शनिकों को अनेकान्तवाद का महामन्त्र प्रदान किया। सद्गुणों की अवमानना करने वाले जन्मगत जातिवाद पर कठोर प्रहार कर गुण-कर्माधार पर जातिव्यवस्था का निरूपण किया। महावीर कथा
महावीर कथा के लेखक गोपालदास जीवाभाई पटेल हैं। इसमें महावीर के पूर्व भव, जन्म से लेकर निर्वाण तक की घटनायें तथा उनके उपदेशों पर प्रकाश डाला गया है। यह ग्रन्थ उपयोगी व पठनीय है। वैशाली के राजकुमार तीर्थकर वर्द्धमान महावीर
इसके लेखक डॉ. नेमिचन्द्र जैन है। इन्होनें चित्ताकर्षक भाषा में महावीर के व्यक्तित्व और कृतित्व पर अच्छा प्रकाश डाला है। भगवान महावीर
इसके लेखक श्री कामताप्रसाद जैन हैं। इन्होंने दिगम्बर ग्रन्थों के · आधार पर शोधपरक दृष्टि से महावीर के जीवन का चित्रण किया है।