Book Title: Samkit Pravesh - Jain Siddhanto ki Sugam Vivechana
Author(s): Mangalvardhini Punit Jain
Publisher: Mangalvardhini Foundation
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________________ अभक्ष्य समकित : कल तुमने पूछा था कि कौन-कौन सी चीजें अभक्ष्य हैं। तो आज हम अभक्ष्य के सभी प्रकारों की चर्चा करते हैं। अभक्ष्य पाँच प्रकार के होते हैं: 1. त्रसघात 2. बहुघात 3. अनुपसेव्य 4. अनिष्टकारक 5. नशाकारक प्रवेश : अरे, यह तो हमने पहली बार सुना है। कृपया एक-एक करके इनके बारे में समझाईये न ? | समकित : ठीक है ! ऐसी चीजें जिनको बनाने या खाने से त्रस जीवों का घात (हिंसा) होता है उन्हें त्रसघात अभक्ष्य कहते हैं जैसे कि माँस, पाँच उदम्बर फल, रात्रिभोजन, बिना छना पानी आदि। प्रवेश : रात्रिभोजन भी अभक्ष्य है ? यदि रात्रि में भक्ष्य चीजें खायें तो? समकित : रात में सूर्य का प्रकाश नहीं होने के कारण बहत सारे त्रस जीव पैदा हो जाते हैं जो रात में भोजन बनाते या करते समय हमारे भोजन और मुँह में चले जाते हैं। चाहे फिर वह भोजन अभक्ष्य हो या भक्ष्य / प्रवेश : हाँ, आजकल तो डॉक्टर भी रात्रिभोजन के लिये मना करते हैं / समकित : हाँ, क्योंकि हमारा शरीर रात्रि भोजन के लिये बना ही नहीं है। ज्यादातर पशु-पक्षी तक रात्रि में नहीं खाते। इसीप्रकार बिना-छने पानी की एक-एक बूंद में असंख्यात् त्रस जीव होते हैं। इसलिये वह भी अभक्ष्य है और स्वास्थ्य के लिये भी नुकसान दायक है। वैज्ञानिक भी माईक्रोस्कोप की मदद से यह साबित कर चुके हैं। प्रवेश : और बहुघात? समकित : बहुधात का मतलब है-बहु स्थावर घात। जिन चीजों को बनाने या खाने में बहुत से (अनंत) स्थावर जीवों का घात होता है उन्हें बहुघात