Book Title: Samkit Pravesh - Jain Siddhanto ki Sugam Vivechana
Author(s): Mangalvardhini Punit Jain
Publisher: Mangalvardhini Foundation
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________________ 220 समकित-प्रवेश, भाग-7 राग-द्वेष को छोडकर सभी कार्यों में समता-भाव रखना और जिन-सूत्र (जिनवाणी) में उपयोग' को लगाकर आत्मनीलता का प्रयास करना व्यवहार सामायिक है। निश्चय सामायिक शुद्ध-भाव रूप है और व्यवहार सामायिक शुभ-भाव रूप है। प्रवेश : सामायिक करने का समय कौन-सा है ? सामायिकः प्रतिदिन सुबह, दोपहर व शाम यानि कि तीनों संधि कालों में कम से कम दो घड़ी (48 मिनट) व्यवहार सामायिक की जाती है। निश्चय सामायिक तो कभी भी कर सकते हैं। प्रवेश : क्या सामायिक अनेक प्रकार की होती है ? समकित : सामायिक अनेक प्रकार की नहीं होती, सामायिक का कथन अनेक प्रकार से होता है। निश्चय से आत्मलीनता और व्यवहार से आत्मलीनता का प्रयास समायिक है। लेकिन निमित्त, संयोगादि की अपेक्षा से सामायिक के निम्न भेद बताये गये हैं: 1. नाम सामायिकः अच्छे या बुरे नाम में राग-द्वेष का त्याग। 2. स्थापना सामायिकः किसी भी अच्छे या बुरे चित्र, प्रतिमा आदि में राग-द्वेष का त्याग। 3. द्रव्य सामायिकः सभी द्रव्यों में राग-द्वेष का त्याग। 4. क्षेत्र सामायिकः अनुकूल या प्रतिकूल स्थान में राग-द्वेष का त्याग। 5. काल सामायिकः किसी भी अनुकूल या प्रतिकूल मौसम, महीना, वार (दिन) आदि में राग-द्वेष का त्याग। 6. भाव सामायिकः निर्मल आत्मज्ञान-श्रद्धान-लीनता द्वारा मिथ्यात्व (मोह) और कषाय (राग-द्वेष) का त्याग भाव (निश्चय) सामायिक है। भाव (निश्चय) सामायिक होने पर ही नाम, स्थापना, द्रव्य, क्षेत्र व काल सामायिक सच्ची सामायिक कहलाती है। 1.concentration