Book Title: Samkit Pravesh - Jain Siddhanto ki Sugam Vivechana
Author(s): Mangalvardhini Punit Jain
Publisher: Mangalvardhini Foundation

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Page 293
________________ 286 समकित-प्रवेश, भाग-8 प्रवेश : सीता हरण? सीता के साथ हुआ था। उनके विवाह के बाद श्रीराम के पिता राजा दशरथ के दीक्षा लेने के भाव हुए और राम के भाई भरत के भी दीक्षा लेने के परिणाम होने लगे। राजा दशरथ ने श्रीराम को राजा बनाने का निर्णय लिया। लेकिन... प्रवेश : लेकिन ? समकित : रानी कैकई को लगा कि पति और पुत्र (भरत) दोनों ही दीक्षा ले लेंगे तब मेरा क्या होगा। अतः भरत को दीक्षा लेने से रोकने के लिये उसने राजा दशरथ से राम की जगह भरत को राजा बनाने की माँग कर दी। प्रवेश : तो राजा दशरथ मान गये? समकित : हाँ, मजबूरी में मानना पड़ा क्योंकि राजा दशरथ ने कैकई को वचन' दे रखा था कि जब जो इच्छा हो वो माँग लेना, मैं मना नहीं करूँगा इसलिये उनको कैकई की माँग स्वीकार करनी पड़ी। प्रवेश : फिर राम? समकित : राम बहुत समझदार थे। मैं प्रजा को बहुत प्रिय हूँ, मेरे रहते हुये भरत को कोई राजा नहीं मानेगा और राज्य व्यवस्था चौपट हो जायेगी, ऐसा प्रवेश : वह अयोध्या छोड़कर चले गये? / समकित : हाँ, वे तो गये ही, पत्नि सीता और भाई लक्ष्मण भी उनके साथ वन में चले गये। प्रवेश : फिर वे कहाँ और कैसे रहे होंगे? गुरू : वे कोई सामान्य व्यक्ति नहीं, महा-पुण्यशाली बलभद्र और नारायण थे। उनके पुण्य के उदय से वन में भी उनके रहने की सारी व्यवस्थायें हो 1.promise 2.public 3.arise

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