Book Title: Samkit Pravesh - Jain Siddhanto ki Sugam Vivechana
Author(s): Mangalvardhini Punit Jain
Publisher: Mangalvardhini Foundation

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Page 294
________________ समकित-प्रवेश, भाग-8 287 गयीं और उन्हें कोई तकलीफ नहीं हुई लेकिन पाप के उदय में देवी सीता के अपहरण ने उनको भयानक परेशानी में डाल दिया। प्रवेश : अच्छा मतलब रावण सीता का अपहरण करके अपनी राजधानी लंका में ले गया, लेकिन क्यों ? समकित : क्योंकि लक्ष्मण ने गुस्से में आकर रावण की बहिन चन्द्रनखा (सूपनखा) का अपमान कर दिया था। उसका बदला लेने के लिये रावण ने यह खोटा काम किया और भ्रष्ट हो गया। हालांकि उसने सीता को छुआ तक नहीं लेकिन अपने भाव (परिणाम) तो खराब कर ही लिये थे और परिणामों से बंध है, परिणामों से मोक्षा प्रवेश : फिर? समकित : फिर क्या। राम-लक्ष्मण ने हनुमान, सुग्रीव आदि की मदद से लंका पर चड़ाई (हमला) कर दी। प्रवेश : तो क्या हनुमान जी आदि भी बंदर (वानर) नहीं थे। उनके भी वंश (कुल) का नाम वानर वंश था। समकित : हाँ बिल्कुल। वे सभी तो सर्वांग सुन्दर विद्याधर राजा थे और हनुमान जी तो संसार के सबसे सुंदर पुरुष थे। प्रवेश : फिर? समकित : श्रीराम-लक्ष्मण और हनुमान जी आदि सभी विद्याधरों ने रावण की सेना से साथ भीषण युद्ध किया और रावण मारा गया। श्रीराम, देवी सीता को लंका से वापिस अयोध्या ले आये। प्रवेश : चलो अच्छा हुआ। समकित : अच्छा क्या हुआ ? पाप के उदय में जीव कहीं भी साता से नहीं रह सकता। परम पवित्र देवी सीता को कुछ मूर्ख लोगों ने सिर्फ इस बात पर बदनाम करना शुरु कर दिया कि वह इतने महीनों तक रावण के यहाँ लंका में रहकर आयीं हैं। भले ही रावण ने उनको कभी स्पर्श भी

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