Book Title: Samkit Pravesh - Jain Siddhanto ki Sugam Vivechana
Author(s): Mangalvardhini Punit Jain
Publisher: Mangalvardhini Foundation

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Page 283
________________ 276 समकित-प्रवेश, भाग-8 प्रवेश : वे चार अभाव कौन-कौन से हैं ? समकित : वे चार अभाव हैं : 1. प्राग्भाव 2. प्रध्वंसाभाव 3. अन्योन्याभाव 4. अत्यंताभाव 1. प्रागभावः किसी भी द्रव्य की वर्तमान-पर्याय' का उसी द्रव्य की भूतकाल-की-पर्याय में अभाव प्रागभाव है। जैसे गोरस की तीन पर्याय एक-के-बाद-एक होती हैं: 1. दूध 2. दहीं 3. छाछ / यदि हम दही को वर्तमान-पर्याय की तरह देखें तो दही का दूध में अभाव प्राग्भाव है। 2. प्रध्वंसाभावः किसी भी द्रव्य की वर्तमान-पर्याय' का उसी द्रव्य की भविष्य-की-पर्याय में अभाव प्रध्वंसाभाव है। जैसे दही का छाछ में अभाव प्रध्वंसाभाव है। प्रवेश : अन्योन्याभाव और अत्यंताभाव ? समकित : 3. अन्योन्याभावः एक पुद्गल द्रव्य की वर्तमान-पर्याय" का दूसरे पुद्गल द्रव्य की वर्तमान-पर्याय में अभाव अन्योन्याभाव है। जैसे हल्दी के पीलेपन का दूध की सफेदी में अभाव अन्योन्याभाव है। प्रवेश : इसका मतलब यह हुआ कि प्रागभाव और प्रध्वंसाभाव एक ही द्रव्य की भूत, वर्तमान व भविष्य पर्यायों में लागू होता है जबकि अन्योन्याभाव दो अलग-अलग पुद्गल द्रव्य की वर्तमान पर्यायों में लागू होता है ? समकित : हाँ बिल्कुल सही। अब सुनो अत्यंताभाव जो कल तुमने पूछा था। 4. अत्यंताभावः एक द्रव्य का दूसरे द्रव्य में अभाव अत्यंताभाव है। जैसे जीव द्रव्य (आत्मा) का पुद्गल द्रव्य (शरीर) में अभाव। 1.present-state 2.past-state 3.absense 4.serially 5.milk 6.curd 7.buttermilk 8.present-state 9.present-state 10.future-state 11.present-state 12.apply

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