Book Title: Samkit Pravesh - Jain Siddhanto ki Sugam Vivechana
Author(s): Mangalvardhini Punit Jain
Publisher: Mangalvardhini Foundation
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________________ 156 समकित-प्रवेश, भाग-6 1. जीव 2. अजीव 3. आश्रव 4. बंध 5. संवर 6. निर्जरा 7. मोक्ष इन सात-तत्वों में पाप, पुण्य को और जोड़ देने पर नव-तत्व या नव-पदार्थ हो जाते हैं। प्रवेश : मतलब? समकित : पुण्य-पाप, आश्रव-बंध तत्व के ही भेद हैं, इसलिये संक्षेप' में सात-तत्व कहते हैं और विस्तार में नव-तत्व या नव-पदार्थ। प्रवेश : भाईश्री ! ये प्रयोजनभूत तत्व, द्रव्य हैं या गुण हैं या पर्याय हैं ? समकित : इनमें से पहले दो, जीव और अजीव तत्व तो द्रव्यरूप (मूल) तत्व हैं बाकी-के तत्व, जीव व अजीव (पुद्गल) की पर्यायरूप तत्व हैं जो कि निम्न चार्ट में दर्शाया गया है: द्रव्य रूप तत्व 1. जीव तत्व | 2. अजीव तत्व पर्याय रूप तत्व जीव की पर्याय अजीव (पुद्गल) की पर्याय 3. आश्रव तत्व भाव आश्रव द्रव्य आश्रव | 4. बंध तत्व भाव बंध द्रव्य बंध | 5. संवर तत्व भाव संवर द्रव्य संवर 6. निर्जरा तत्व भाव निर्जरा द्रव्य निर्जरा | 7. मोक्ष तत्व भाव मोक्ष / द्रव्य मोक्ष | 8. पाप तत्व भाव पाप द्रव्य पाप 9. पुण्य तत्व भाव पुण्य द्रव्य पुण्य परस्पर निमित्त-नैमित्तिक संबंध / प्रवेश : जीव-तत्व मतलब ? समकित : जीव तत्वः जिसमें मेरे ज्ञान-दर्शन आदि अनंत गुण मौजूद हैं, ऐसा मैं स्वयं ही जीव-तत्व हूँ। 1.Brief 2.detail 3.remaining 4.mutual 5.present