Book Title: Samkit Pravesh - Jain Siddhanto ki Sugam Vivechana
Author(s): Mangalvardhini Punit Jain
Publisher: Mangalvardhini Foundation

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Page 220
________________ समकित-प्रवेश, भाग-7 213 कर हित (सबका भला करने वाले), मित (नपे-तुले), प्रिय (मीठे) सत्य व अनुभय' वचन सावधानी पूर्वक बोलना या मौन रहना भाषा समिति 3. एषणा समितिः विधि व सावधानी पूर्वक छियालीस-दोष व बत्तीस-अंतराय टालकर निर्दोष व प्रासुक आहार (गोचरी) लेना एषणा समिति है। 4. आदान-निक्षेपण समितिः पुस्तक आदि उपकरणों को प्रतिलेखन करके सावधानी पूर्वक उठाना व रखना आदान-निक्षेपण समिति है। 5. प्रतिष्ठापना समितिः जीव जन्तु रहित प्रासुक स्थान में सावधानी पूर्वक प्रतिलेखन करके मल-मूत्र आदि छोड़ना व उठना-बैठना आदि प्रतिष्ठापना समिति है। प्रवेश : क्या मुनिराज को यह समितियाँ पालना जरूरी हैं ? समकित : हाँ, इन पाँच समितियों को निरतिचार (बिना दोष लगाय) पालने पर ही उनका अहिंसा महाव्रत पल सकता है। प्रवेश : पाँच समितियों में लगने वाले दोष कौनसे हैं ? समकित : मैं एक-एक करके पाँचों समितियों के दोष बताता हूँ। 1. ईर्या समिति में लगने वाले दोष (अतिचार): सूरज की रोशनी मंद होने पर या रात में गमन करना। बिना देखे पैर रखना या चलना। विचार करते-करते,कोई और काम, बात-चीत आदि करते-करते चलना। दूसरों को चलने के लिये कहना आदि मन, वचन, काय, कृत, कारित, अनुमोदना ऐसे नौ-कोटि पूर्वक लगने वाले दोष। 2. भाषा समिति में लगने वाले दोष (अतिचार): 1.formal 2.silent 3.46-flaws 4.32-obstructions 5.equipments 6.broom 7.waste 8.flaws 9.dim 10.walk

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