Book Title: Samkit Pravesh - Jain Siddhanto ki Sugam Vivechana
Author(s): Mangalvardhini Punit Jain
Publisher: Mangalvardhini Foundation
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________________ समकित-प्रवेश, भाग-7 201 जल निर्मलता' का प्रतीक है। परमात्मा पर्याय में निर्मल और आत्मा स्वभाव से निर्मल है। चंदन शीतलता का प्रतीक है। परमात्मा पर्याय में शीतल और आत्मा स्वभाव से शीतल है। अक्षत अखंडता का प्रतीक है। परमात्मा पर्याय में अखंडित और आत्मा स्वभाव से अखंडित है। पुष्प कोमलता/सरलता का प्रतीक है। परमात्मा पर्याय में सरल और आत्मा स्वभाव से सरल है। नैवेद्य रस-परिपूर्णता का प्रतीक है। परमात्मा पर्याय में आनंद रस से परिपूर्ण और आत्मा स्वभाव से आनंद रस से परिपूर्ण है। दीपक स्व-पर प्रकाशकता का प्रतीक है। परमात्मा पर्याय में पूर्ण स्वपर प्रकाशक हो गये हैं और आत्मा स्वभाव से स्व-पर प्रकाशक है। धूप ऊर्ध्वगमन (ऊपर की ओर जाना) का प्रतीक है। परमात्मा का पर्याय में ऊर्ध्वगमन हो गया है और आत्मा ऊर्ध्वगमन स्वभावी है। फल उपलब्धि (सुफल) का प्रतीक है। परमात्मा ने पर्याय में मोक्ष रूपी उपलब्धि (सुफल) को प्राप्त कर लिया है। आत्मा स्वभाव से मुक्त (मोक्ष स्वाभावी) है। इसप्रकार जब पूजक के भाव, पूज्य (आत्मा-परमात्मा) से हटकर बाहर जाते हैं तो सबसे पहले हाथ में ली हुई द्रव्य पर जाते हैं। जिसे देखकर उसे फिर से आत्मा-परमात्मा का स्मरण हो जाता है। प्रवेश : क्या ये आठ ही पूजा के द्रव्य हैं ? समकित : वर्तमान परंपरा में तो यह आठ द्रव्य ही प्रचलित हैं। शक्ति-अनुसार कम या ज्यादा भी हो सकते हैं, लेकिन जितने भी हों सभी शुद्ध, प्रासुक, मर्यादित और अहिंसक होने चाहिये। अशुद्ध, अप्रासुक, 1.purity 2.calmness 3.integrity 4.simplicity 5.bliss 6.illuminancy 7.upright-motion 8.achievement 9.remembrance 10.according to capability