Book Title: Samkit Pravesh - Jain Siddhanto ki Sugam Vivechana
Author(s): Mangalvardhini Punit Jain
Publisher: Mangalvardhini Foundation
View full book text
________________ कारण-कार्य समकित : यह एक सर्वस्वीकृत-तथ्य' है कि कारण बिना कार्य नहीं होता। इसलिये जब भी कोई घटना (कार्य) घटित होती है तो हम उसके कारणों पर विचार करते हैं, उसके कारणों की चर्चा करते हैं। और जब हम किसी भी कार्य (पर्याय) के कारण खोजते हैं, तब दो तरह के कारण सामने निकलकर आते हैं। 1. निमित्त कारण formal-cause 2. उपादान कारण actual-cause प्रवेश : कृपया इनको विस्तार से समझाईये। समकित : जो स्वयं कार्य रूप परिणमित (परिवर्तित) नहीं होता, मात्र कार्य की उत्पत्ति में अनुकूल होने का आरोप जिसपर आता है उसे निमित्त कारण कहते हैं। जो स्वयं कार्य रूप परिणमित होता है उसे उपादन कारण कहते हैं। प्रवेश : जैसे? समकित : इसको हम निम्न चार्ट के माध्यम से समझेंगेः कार्य-घड़ा कारण निमित्त उपादान त्रिकाली अनंतर पूर्व क्षणवर्ती पर्याय (मिट्टी का पिंड) तत्समय की योग्यता (घड़ा) (मिट्टी) अंतरंग (कुम्हार) उदासीन (धर्म द्रव्य) बहिरंग (चक्र, दण्ड आदि) प्रेरक (कुम्हार, चक्र आदि) 1.universal-fact 2.cause 3.action 4.transformed 5.favored 6.blame 7.transformed