Book Title: Samkit Pravesh - Jain Siddhanto ki Sugam Vivechana
Author(s): Mangalvardhini Punit Jain
Publisher: Mangalvardhini Foundation
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________________ समकित-प्रवेश, भाग-5 समकित : सभी द्रव्यों की तरह पुद्गल द्रव्य भी अनंत सामान्य और विशेष गणों का समूह है। अस्तित्व आदि सामान्य गुण जो सभी द्रव्यों में समानरूप-से' पाये जाते हैं, उनकी चर्चा तो हम पिछले पाठों में कर चुके है। अब हम पुद्गल द्रव्य के विशेष गुणों की चर्चा करेंगे जो केवल पुद्गल द्रव्य में ही पाये जाते हैं जीव आदि अन्य द्रव्यों में नहीं। इस प्रकार पुद्गल द्रव्य के यह विशेष गुण, पुद्गल द्रव्य को जीवादि अन्य द्रव्यों से अलग पहिचान दिलाते हैं। अन्य द्रव्यों की तरह ही पुद्गल द्रव्य के विशेष गुण तो अनंत हैं लेकिन यहाँ हम उनमें से चार मुख्य गुणों की चर्चा करेंगे जो कि निम्न हैं: 1. स्पर्श touch 2. रस taste 3. गंध smell 4. वर्ण colour इन गुणों का क्रमशः अर्थ है कि हर पुद्गल द्रव्य में ऐसी शक्तियाँ मौजूद हैं कि हर अवस्था में उसका कुछ न कुछ स्पर्श, रस, गंध, रंग (वर्ण) जरूर हो सके। प्रवेश : गुण तो ठीक लेकिन इनकी पर्यायें ? समकित : हाँ, गुण हैं तो पर्याय भी होंगी ही, क्योंकि गुणों की एक समय की अवस्था (कार्य) को ही तो पर्याय कहते हैं। जिसे हम निम्न चार्ट के द्वारा समझ सकते हैं: द्रव्य | गुण / पर्याय स्पर्श हल्का-भारी, रूखा-चिकना, कठोर-नरम, ठण्डा-गरम रस खट्टा, मीठा, कड़वा, कषायला, चरपरा गंध सुगंध-दुर्गंध वर्ण लाल, पीला, नीला, काला, सफेद इस चार्ट में हमने देखा कि चिकना-खुरदुरा आदि स्पर्श गुण की, मीठा-खट्टा आदि रस गुण की, सुगंध-दुर्गंध गंध गुण की व लालपीली आदि वर्ण गुण की पर्यायें हैं जो हर समय बदलती रहती हैं। पुद्गल 1.equally 2.identity 3.respectively 4.present 5.state 6.smooth-rough