Book Title: Samkit Pravesh - Jain Siddhanto ki Sugam Vivechana
Author(s): Mangalvardhini Punit Jain
Publisher: Mangalvardhini Foundation
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________________ समकित-प्रवेश, भाग-5 प्रवेश : यदि हर गुण की पर्याय हर समय बदलती रहती है, तो फिर तो पुस्तक के इस पेज का रंग (वर्ण-गुण की पर्याय) हर समय बदलना चाहिये। लेकिन ऐसा तो नहीं दिखायी देता, यह तो हर समय सफेद ही दिखायी दे रहा है। समकित : पहली बात तो यह है कि जो हमारे जानने में नहीं आता वह हो ही न ऐसा कोई नियम तो है नहीं। दूसरी बात यह कि हमारा अल्प-ज्ञान समय-समय के सूक्ष्म-परिवर्तनों को पकड़ने में असमर्थ होता है, लेकिन स्थूल-परिवर्तन को पकड़ने में तो हमारा अल्प-ज्ञान भी समर्थ है। प्रवेश : कैसे? समकित : जरा सोचो जब इस पुस्तक को पूरा पढ़कर तुम अलमारी में रख दोगे और जब कुछ सालों बाद वापिस निकालोगे तब भी क्या इसके पेज इसी तरह सफेद रहेंगे? प्रवेश : नहीं, वे कुछ पीले से हो जायेंगे। समकित : अब एक बात बताओ जिस समय तुम वह पुस्तक निकालोगे, क्या वे पेज उसी समय पीले हो जायेंगे? प्रवेश : नहीं। समकित : वह तो धीरे-धीरे पीले होते हैं लेकिन सूक्ष्म परिवर्तन को पकड़ने में हम अल्पज्ञ जीव असमर्थ हैं। सर्वज्ञ भगवान उस सूक्ष्म परिवर्तन को भी जान लेते हैं तभी तो उनकी वाणी में इतने सूक्ष्म-तत्व निकलकर आते हैं और भगवान की वाणी में आये हुये इन सूक्ष्म तत्वों की सच्ची जानकारी के बिना हम उन जैसे नहीं बन सकते। प्रवेश : और जीव द्रव्य के विशेष गुण ? समकित : आज नहीं कल। 1.little-knowledge 2.minute-changes 3.incapable 4.broad-changes 5.capable 6.almirah 7.minute-elements 8.knowledge