Book Title: Samkit Pravesh - Jain Siddhanto ki Sugam Vivechana
Author(s): Mangalvardhini Punit Jain
Publisher: Mangalvardhini Foundation
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________________ निश्चय सम्यकदर्शन-ज्ञान-चरित्र जैसा कि हमने देखा की अगृहीत (निश्चय) मिथ्यादर्शन-ज्ञान-चारित्र, दुःख यानि कि संसार के मूल-कारण' हैं। और गृहीत (व्यवहार) मिथ्यादर्शन-ज्ञान-चारित्र उनको पुष्ट करने वाले निमित्त-कारण हैं। ठीक इनके उलट निश्चय सम्यकदर्शन-ज्ञान-चारित्र, सुख यानि कि मोक्ष के मूल कारण हैं और व्यवहार सम्यकदर्शन-ज्ञान-चारित्र उनको पुष्ट करने वाले निमित्त-कारण हैं। प्रवेश : निश्चय सम्यकदर्शन-ज्ञान-चारित्र का स्वरूप क्या है ? समकित : जिस तरह स्वयं को न जानना निश्चय मिथ्याज्ञान है, स्वयं में अपनापन न करना निश्चय मिथ्यादर्शन है और स्वयं में लीन न होना निश्चय मिथ्याचारित्र है, ठीक इनके उलट स्वयं को जानना निश्चय सम्यकज्ञान, स्वयं में अपनापन करना निश्चय सम्यकदर्शन और स्वयं में लीन होना निश्चय सम्यकचारित्र है। प्रवेश : क्या निश्चय मिथ्यादर्शन-ज्ञान-चारित्र की तरह इनके भी पर्यायवाची होते हैं ? समकित : हाँ बिल्कुल ! इनको हम निम्न चार्ट से समझ सकते हैं : द्रव्य शुद्ध पर्याय ज्ञान सम्यकज्ञान | आत्मज्ञान ज्ञान | सुज्ञान श्रद्धा | सम्यक श्रद्धा/ | निर्मोह | सम्यक्त्व सीधी मान्यता सम्यकदर्शन चारित्र | सम्यकचारित्र वीतरागता निःकषाय शुद्ध भाव लीनता पद सम्यक्त्वाचरण स्तर&1 अ. सम्यकदृष्टि देश चारित्रस्त र&2 व्रती श्रावक सकल चारित्र स्तर&3 मुनिराज यथाख्यात चारित्र स्तर&4 भगवान ___पूर्ण ज्ञान सच्चा सुख विशेष-यह चार्ट प्राथमिक स्तर के विद्यार्थियों को ध्यान में रखकर बनाया गया है अतः कुछ बातें गौण की गयी हैं।। 1.root-cause 2.formal-medium 3.actual 4.formal 5.synonyms जीव सुख