Book Title: Samkit Pravesh - Jain Siddhanto ki Sugam Vivechana
Author(s): Mangalvardhini Punit Jain
Publisher: Mangalvardhini Foundation
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________________ स्थावर औरत्रस जीव प्रवेश : भाईश्री ! मैंने भक्ष्य-अभक्ष्य के बारे में दादी से पूछा था। उन्होंने बताया जो चीजें खाने लायक हो उन्हें भक्ष्य कहते हैं और जो चीजें हमारे खाने लायक न हो उन्हें अभक्ष्य कहते हैं। समकित : हाँ, बिलकुल ऐसा ही है। इसीलिए परिवार में बुजुर्गों का साथ रहना बहुत जरूरी है। सही शिक्षा और संस्कार तो बच्चों को उनसे ही मिलते हैं। उनको मेरा चरण स्पर्श बोलना। प्रवेश : जी भाईश्री ! जब में रात में सोते समय दादी के चरण स्पर्श करूँगा तब आपकी तरफ से भी चरण स्पर्श बोल दूंगा। समकित : ठीक है। प्रवेश : भाईश्री ! कौनसी चीजें भक्ष्य हैं और कौनसी चीजे अभक्ष्य ? समकित : जिन चीजों के बनाने और खाने में त्रस या फिर बहुत से स्थावर जीवों की हिंसा होती है व गंदी, नशीली और स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाली सभी चीजें अभक्ष्य हैं। प्रवेश : यह स्थावर और त्रस जीव क्या होते हैं ? जैनाचार वाले पाठ के दिन भी मैं पूछने वाला था। समकित : तो फिर क्यों नही पूछा ? प्रवेश : मुझे लगा सभी मेरे ऊपर हँसेंगे। समकित : अरे, उनके हँसने से तुम्हारा कुछ नुकसान नहीं होगा लेकिन यदि कोई बात समझ में नहीं आयेगी तो तुम्हारा बहुत नुकसान होगा इसलिए जहाँ समझ में न आये तुरंत पूछ लेना चाहिये। जिन जीवों के पास सिर्फ एक स्पर्शन इंद्रिय है वह स्थावर जीव कहलाते हैं। जैसे- पेड़-पौधे, धरती, पानी, आग, हवा आदि।