Book Title: Samkit Pravesh - Jain Siddhanto ki Sugam Vivechana
Author(s): Mangalvardhini Punit Jain
Publisher: Mangalvardhini Foundation
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________________ समकित-प्रवेश, भाग-3 51 जिन जीवों के पास स्पर्शन इंद्रिय के अलावा और भी इंद्रियाँ होती हैं वे त्रस जीव कहलाते हैं। जैसे-स्पर्शन और रसना ऐसी दो इंद्रियों वाली लट, इल्ली आदि। स्पर्शन-रसना-घ्राण ऐसी तीन इंद्रियों वाली चींटी आदि। स्पर्शन-रसना-घ्राण-चक्षु ऐसी चार इंद्रियों वाले भौंरा, तितली आदि व स्पर्शन-रसना-घ्राण-चक्षु-कर्ण ऐसी पाँच इंद्रियों वाले असंज्ञी पंच इंद्रिय जीव और पाँच इंद्रिय व मन वाले संज्ञी पंच-इंद्रिय जीव, यह सभी त्रस जीव कहलाते हैं। प्रवेश : संज्ञी और असंज्ञी पंच इंद्रिय जीव मतलब? समकित : जिन पंच इंद्रिय जीवों के पास मन (विचार-शक्ति) नहीं होता वे असंज्ञी पंच इंद्रिय और जिनके पास मन होता है वह संज्ञी पंच इंद्रिय जीव कहलाते हैं। प्रवेश : संज्ञी और असंज्ञी का अंतर सिर्फ पंच इंद्रिय जीवों में ही होता है ? समकित : हाँ, क्योंकि एक इंद्रिय से लेकर चार इंद्रियों तक के जीव असंज्ञी यानि कि मन बिना के ही होते हैं। सिर्फ पंच इंद्रिय जीव में ही दोनों प्रकार के जीव होते हैं। प्रवेश : असंज्ञी और संज्ञी पंच इंद्रिय जीव कौन-कौन से हैं ? समकित : जिनके पास पाँच इंद्रियाँ तो हैं लेकिन मन नहीं, ऐसे पानी के साँप बगैरह असंज्ञी पंच इंद्रिय जीव हैं और जिनके पास सभी पाँच इंद्रियों के साथ सही-गलत का विचार करने की, सीखने की शक्ति यानि कि मन भी है. ऐसे गाय, भैंस, बकरी आदि तिर्यंच, नारकी, देव और मनुष्य यानि कि हम स्वयं संज्ञी पंच इंद्रिय जीव हैं। इसलिये हम भी त्रस जीव हैं। प्रवेश : वह कौनसी अभक्ष्य चीजें हैं जिनके बनाने और खाने में त्रस या फिर बहुत से स्थावर जीवों की हिंसा होती है ? समकित : आज मेरे गुरूजी आ रहे हैं इसलिये आज नहीं लेकिन कल मैं तुम्हें सभी तरह के अभक्ष्य के बारे में विस्तार से बताऊँगा।