Book Title: Niti Vakyamrutam
Author(s): Somdevsuri, Nathulal Jain, Mahendrakumar Shastri
Publisher: Digambar Jain Vijaya Granth Prakashan Samiti
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नीति वाक्यामृतम्
धूर्त स्वार्थवश धनाढ्यों को पापमार्ग में लगाते हैं
स्व व्यसन तर्पणाय धूर्ते दुरीहितवृत्तयः क्रियन्ते श्रीमन्तः ॥ 40 ॥
अन्वयार्थ :- ( धूतैः) वंचकों द्वारा (स्व) अपने ( व्यसन) स्वार्थ ( तर्पणाय) सिद्ध करने के लिए ( श्रीमन्त:) लक्ष्मी - पति ( दुरीहितवृत्तयः) दुराचारी ( क्रियन्ते) कर दिये जाते हैं ।
वंचक जन अपने दुर्व्यसनों की पूर्ति के लिए धनपतियों को भी कुमार्गरत कर देते हैं ।
विशेषार्थ :• धूर्तलोग अपने दुर्व्यसनों के सेवन करने में असमर्थ हो धनवानों को मित्र बना लेते हैं । चापलूसी करते हैं, फुसलाकर उन्हें भी खोटे मार्ग पर लगा देते हैं। उनसे रुपया-पैसा पाकर अपनी दुर्भावनाओं की पूर्ति करते हैं । दुर्जन पुरुष भयंकर विषधर होते हैं। नीतिकार कहते हैं
तक्षकस्य विषं दन्ते, मक्षिकायाश्च मस्तके I वृश्चिकस्य विषं पुच्छे, सर्वांङ्गे दुर्जनस्य व
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अर्थात् - गरुड - भुजंग की दाढ में विष रहता है, मक्खियों के मस्तक पर जहर रहता है, बिच्छू की पूंछ में हलाहल होता है, परन्तु दुर्जन के तो सम्पूर्ण शरीरावयवों में भयंकर विष व्याप्त रहता है। अभिप्राय यह है कि ये घातक प्राणी तो निश्चित अंगों से विष छोड़ते हैं, परन्तु दुर्जन- धूर्त सर्वाङ्गों से विष उगलता है । अर्थात् मन, वचन काय सभी इसका विष सदृश धोखा देने वाला होता है ।
"दुष्ट संसर्ग का फल "
"खल संगेन किं नाम न भवत्यनिष्टम् | 141 ॥ " पाठ भेद "खल संसर्गः किं नाम न करोति ।। " अर्थभेद कुछ नहीं है ।
अन्वयार्थ :- (खल संगेन) दुर्जन की संगति से (किं नाम) कौनसा (अनिष्टम्) अनिष्ट है जो (न) नहीं (भवति) होता है ।
दुर्जन की संगति सम्पूर्ण अनिष्टों की जननी है ।
विशेषार्थ :- वल्लभदेव ने कहा है.
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असतां संग दोषेण साधवो यान्ति विक्रियाम् । दुर्योधन प्रसंोन भीष्मो गोहरणे गतः 11
अर्थ :- दुर्जन की संगति से सज्जन पुरुष भी पाप कर्मों पितामह गायों के हरण करने में प्रवृत्त हुए । इसीलिए कहा है
में फंस जाते हैं । दुर्योधन की संगति से महात्मा भीष्म
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संगति कीजैं साधु की हरै और की व्याधि । ओछी संगति नीच की आठों पहर उपाधि ।।
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अर्थ :सत्पुरुष का सहवास अन्य की विपदाओं को नष्ट कर देता है, परन्तु दुर्जन की संगति अहर्निश कष्टदायक होती है । दम्भी को अन्त में पछताना पड़ता है
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