Book Title: Niti Vakyamrutam
Author(s): Somdevsuri, Nathulal Jain, Mahendrakumar Shastri
Publisher: Digambar Jain Vijaya Granth Prakashan Samiti

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Page 610
________________ नीति वाक्यामृतम् पीड़ा या दुःख होने पर क्रोध उत्पन्न होता है, कोप से तेज जाग्रत होता है वह तेज शत्रु को परास्त करने में प्रेरित करता है । अभिप्राय यह है कि आक्रमण कर्ता शत्रु को कष्ट देता है तो उसका कोप प्रचण्ड होता है और उसके सुसुप्त तेज-ओज जाग्रत होता है, क्लेशित होने पर प्रतिद्वन्दी की कोपाग्नि अत्यन्त जाज्वल्यमान हो उठती है । यह शत्रु से युद्ध करने में प्रेरित करती है । बलिष्ठ शत्रु कदाच एक बार परास्त भी हो जाता है तो भी वह शान्त हो नहीं बैठता है अपितु पुनः पुनः आक्रमण कर सकता है । अत: सर्वोत्तम व कल्याणकारी मार्ग यही है। कि वलिष्ठ शत्रु के परास्त होने पर भी उसके साथ सन्धि कर लेना चाहिए 1163॥ किसी विद्वान ने कहा है :दुःखामर्षोद्भवं तेजो यत् पुंसां सम्प्रजायते । तत्च्छत्रुं समरे हत्वा ततश्चैव निवर्तते | 11 || अर्थात् शत्रु द्वारा प्रदत्त क्लेश उस ओज को जाग्रत करता है जिससे वह विजय लाभ प्राप्त कर सकता है In | लघु शक्ति वाला बलिष्ठ से युद्ध का फल, व दृष्टान्त, पराजित प्रति राजनीति, शूरवीर शत्रु के सम्मान का grations: स्वजीविते हि निराशस्याचार्यो भवति वीर्यवेगः 1164 | लघुरपि सिंहशावो हन्त्येव दन्तिनम् 1165 ॥ न चातिभग्नं पीडयेत् 1166 | शौर्यकधनस्योपचारो मनसि तच्छागस्येव पूजा 1167 ॥ विशेषार्थ :- जो विजयाभिलाषी पृथिवीपति अपने जीवन की भी अभिलाषा नहीं करता मृत्यु से भी भय नहीं करता उसकी वीरता का वेग उसे शत्रु से संग्राम करने के लिए प्रेरित करता है । 164 ॥ नारद ने भी कहा है -- न तेषां जायते वीर्यं जीवितव्यस्य वाञ्छकाः 1 न मृत्योर्ये भयं चक्रुस्ते वीरास्युजयान्विताः ॥1 ॥ अर्थ :- मृत्यु से भय करने वाले कायर और निर्भय रहने वाले वीर कहे जाते हैं ऐसे ही वीर विजय लाभ प्राप्त करते हैं ।।] ॥ जिस प्रकार सिंह का बच्चा लघु होने पर भी शक्तिशाली व पराक्रमी होने के कारण बड़े भारी हाथी को भी मार डालता है, उसी प्रकार विजयेच्छु भी प्रबल सैन्य की शक्ति से महान शत्रु को युद्ध में परास्त कर देता है 1165 || जैमिनि ने भी कहा है : यद्यपि स्याल्लघुः सिंहस्तथापि द्विपमाहवे । एवं राजापि वीर्यायो महारिहन्तिचेल्लघु: ।। ।। जीतने की इच्छा करने वाला पराजित शत्रु को अधिक पीड़ित नहीं करे। क्योंकि वह फिर से चढ़ाई करेगा 563

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