Book Title: Niti Vakyamrutam
Author(s): Somdevsuri, Nathulal Jain, Mahendrakumar Shastri
Publisher: Digambar Jain Vijaya Granth Prakashan Samiti
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मीति वाक्यामृतम्
अपने सहपाठियों का पराभव नहीं करना चाहिए 11॥
शिष्य का कर्तव्य है कि वह गुरु की अपेक्षा भी अधिक ज्ञानार्जन कर ले तो भी उसे गुरु की अवमानना नहीं करे ।। विद्वत्ता का मद नहीं होना चाहिए 120 । भृगु विद्वान ने भी कहा है :
बुद्धयाधिक स्तु यश्छात्रो गुरुं पश्येदवज्ञया ।
स प्रेत्य नरकं याति वाच्यतामिह भूतले ।।1॥ अर्थ :- जो विद्यार्थी विशेष कुशल बद्धि होने पर अपने गुरु की अवज्ञा करता है अनादर करता है वह मरण कर नरक में जाता है । इस लोक में उसकी अपकीर्ति व्याप्त होती है । माता-पिता से प्रतिकूल पुत्र की कटु आलोचना और पुत्र कर्त्तव्य :
स किमभिजातो मातरि यः पुरुषः शूरो वा पितरि ।।21॥ अननुज्ञातो न क्वचिद् व्रजेत् ।।22 ।। मार्गमचलं जलाशयं च नैकोऽवगाहयेत् ।।23।।
अन्वयार्थ :- (किम्) क्या (सः) वह (अभिजात:) कुलीन है (यः) जो (पुरुषः) मनुष्य (मातरि) माता (वा) अथवा (पितरि) पिता में (शूरः) शूरवीरता [दर्शयते] दिखलाता है । (अननुज्ञातो) बिना कहे (क्वचित्) कभी भी। (न व्रजेत्) नहीं जावे ।। (मार्गम् अचलं) राह में, पर्वत पर (च) और (जलाशयम्) सरोवरादि (एक:) अकेला (न अवगाहयेत्) नहीं जावे, आरोहण व प्रवेश नहीं करे ।
विशेष :- प्रत्येक व्यक्ति को अपने माता-पिता की भक्ति कर अपने श्रेष्ठकुल का परिचय देना चाहिए । अपने माता-पिता के साथ वाद-विवाद करना अपनी कुलीनता को नष्ट करना है । मनु विद्वान ने भी कहा है -
न पुत्रः पितरं द्वेष्टि मातरं न कथंचन ।
यस्तयोद्वैष संयुक्तस्तं विन्द्यादन्यरे तसम् ॥1॥ अर्थ :- यथार्थ में पुत्र वही है जो माता-पिता से कभी भी विरोध न करे । जो उनसे द्वेष करता है उसे अन्य का वीर्य समझना चाहिए ।। अर्थात् वह कुलीन नहीं है ।।21 ॥ पुत्र को माता-पिता की आज्ञा बिना कहीं नहीं जाना चाहिए ।।22 || वशिष्ठ का कथन है :
पितृमात समादेशमगृहीत्वा करोति यः ।
सुसूक्ष्माण्यपि कृत्यानि स कुलीनो भवेन्न हि ।।1॥ अर्थ :- जो पुत्र माता-पिता की आज्ञाबिना सूक्ष्म कार्य भी करता है उसे कुलीन नहीं समझना चाहिए । अतएव माता-पिता की आज्ञा पालनीय है ।22 ||
एकाकी मार्ग में नहीं जाना चाहिए, पर्वत पर नहीं चढ़ना चाहिए तथा जलाशयों में स्नानादि को नहीं जाना चाहिए । जहाँ भी जाना हो माता, पिता या साथियों के साथ ही जाना चाहिए ।।23 ॥ गुरु विद्वान ने भी कहा
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