Book Title: Niti Vakyamrutam
Author(s): Somdevsuri, Nathulal Jain, Mahendrakumar Shastri
Publisher: Digambar Jain Vijaya Granth Prakashan Samiti
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नीति वाक्यामृतम्
बल-समुद्देश
बल शब्द की व्याख्या, प्रधान सैन्य, गज माहात्म्य, युद्धोपयोगी गजों की शक्ति :
द्रविण दानप्रिय भाषणाभ्यामराति निवारणेन यद्धिहितं स्वामिनं सर्वावस्थासु बलते संवृणोतीति बलम् ।। ।। बलेषु हस्तिनः प्रधानभंगं स्वैरवयवैरष्टायुधा हस्तिनो भवन्ति ।p ॥ हस्ति प्रधानो विजयो राज्ञां यदेकोऽपि हस्ती सहस्रं योधयति न सीदति प्रहार सहस्रेणापि IB | जाति: कुलं वनं प्रचारश्च वन हस्तिनां प्रधानं किन्तु शरीर बलं शौर्य शिक्षा च तदुचिता च सामग्री सम्पत्तिः IA ||
__ अन्वयार्थ :- (द्रविण दानप्रिय भाषणाभ्याम्) धनदान व प्रियवचनों द्वारा (आराति निवारणेन) शत्रुओं का निवारण कर (यत्) जो (हि) निश्चय से (स्वामिनम्) राजा का (हितम्) हित को (सर्वावस्थासु) सभी अवस्थाओं में (बलते) बल प्रयोग करने (संवृणोति) रक्षण करे (इति) यह (बलम्) बल है In ॥ (बलेषु) बलों में (हस्तिनः) हाथी का (प्रधानम्) मुख्य (अंगम्) अंग, (स्वैः) अपने (अवयवैः) अवयवों द्वारा (अष्टायुधाः) अष्टायुध (हस्तिन:) हाथी (भवन्ति) होते हैं ।।2 ॥ (हस्तिप्रधानः) हाथियों की प्रधानता (राज्ञाम्) राजाओं की (विजयः) विजय है (यत्) क्योंकि (एकोऽपि) एक भी. (हस्तिः ) गज (सहसम्) हजारों (योधयति) युद्ध करता है (सहस्र) हजारों (प्रहारेण) प्रहारों से (अपि) भी (न) नहीं (सीदति) दुखी होता है । ॥ (हस्तिनाम्) हाथियों के (जातिः, कुलं, वनं, च प्रचारम) जाति, कुल वन और विचरण तो (प्रधानम्) प्रधान हैं (किन्तु) परन्तु (शरीरवलम्) शारीरिक शक्ति (शौर्यः) शूरता, (शुचिता) पवित्रता (च) और (उचिता सामग्री) उचित सामग्री (सम्पत्तिः) सम्पदा [अस्ति ] है ।
विशेषार्थ :- जो राजा के शत्रुओं का निवारण करे, दान सम्मान व मधुर भाषण द्वारा अपने स्वामी के सभी प्रयोजनों को सिद्ध करे उसके कल्याण का उपाय करे, आपत्तियों से सुरक्षित करे, शक्ति प्रदान करता है उसे बल या सैन्य-चतुरङ्ग-हाथी, घोडे, रथ, पयादे कहते हैं 111 ॥ शुक्र विद्वान ने भी "बल" शब्द की यही व्याख्या की
धनेन प्रिय संभाषश्चैवं पुरार्जितम् । आपद्भयः स्वामिनं रक्षेत्ततो वलमिति स्मृतम् ॥