Book Title: Niti Vakyamrutam
Author(s): Somdevsuri, Nathulal Jain, Mahendrakumar Shastri
Publisher: Digambar Jain Vijaya Granth Prakashan Samiti
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नीति वाक्यामृतम्
भृत्यानां पोषणं हस्ते स्वामिसेवाप्रयोजनम् ।
धर्मकृत्यं सुतोत्पत्तिं पर पाश्र्वान्न करायेत् ।।।। अब सेवकों को दातव्य धन, वेतन न मिलने पर भी सेवक का कर्तव्य, दृष्टान्त :
तावद्देययावदाश्रिताः सम्पूर्णतामाप्नुवन्ति ।।20॥ न हि स्वं द्रव्यमव्ययमानो राजा दण्डनीयः ।।21 । को नाम सचेताः स्वगुडंचौर्यात्खादेत् ।।22॥
अन्वयार्थ :- (तावत्) उतना (देयम्) देना (यावत्) जितना से (आश्रिताः) सेवकजन (सम्पूर्णताम्) पूर्ण सन्तुष्टि (आप्नुवन्ति) प्राप्त करते हैं 120 ॥ (स्वम्) अपने (द्रव्यम्) धन को (अव्ययमानः) नहीं व्यय करे तो भी (राजा) नृप (दण्डनीयः) दण्डयोग्य (न) नहीं (हि) निश्चय से 21 ॥ (क:) कौन (नाम) व्यक्ति (सचेताः) विचारशील (स्वगुडम्) अपने ही गुड को (चौर्यात्) चोरी से (खादेत्) खावे ? 122 ॥
विशेषार्थ :- सेवक स्वामी के आश्रय अपना जीवन चलाते हैं । अतएव स्वामी राजा का कर्त्तव्य है कि वह उन्हें उनके भरण-पोषण योग्य पर्याप्त सामग्री प्रदान करे । जिससे वे संतुष्ट रहें सुखी जीवन जी सकें 120॥ शुक्र विद्वान कहते हैं :
आश्रितायस्थ सांदन्ते शत्रुस्तस्य महीपतेः ।
स सर्वष्ठ यते लोकैः कार्पण्याच्च सुदुःस्थितः ।। यदि राजा अपने सेवकों को वेतन नहीं दे तो भी उनका कर्तव्य है कि वे अपना सेवा कार्य न छोड़े, तथा स्वामी विद्रोह भी नहीं करे ।।21 ।। शुक्र विद्वान ने भी कहा है :
वृत्यर्थ कलहः कार्यो न भृत्यै भुजा समं । यदि यच्छति नो वृतिं नमस्कृत्य परित्यजेत् ॥1॥
अर्थ :- वृत्ति न मिलने पर सेवकों को राजा के साथ कलह नहीं करना चाहिए । यदि कार्य न देना चाहे तो नमस्कार कर प्रेम-भक्ति से नौकरी त्याग दे ।। इति ।।
जिस प्रकार स्वाभिमानी पुरुष अपने गुड को चोरी से नहीं खाता उसी प्रकार वह राजा के साथ विग्रह कर कुपित हो अपना अपमान कराना भी नहीं चाहता । अर्थात् स्वामिद्रोह अपमान का कारण होता है उसे कभी नहीं करे 1122 || कृपण राजा का दृष्टान्त, आलोचना, योग्यायोग्यविचार शून्यता से हानि :
किं तेन जलधेन यः काले न वर्षति 123 ॥ स किं स्वामी य आश्रितेषु व्यसने न प्रविधत्ते ॥24॥ अविशेषज्ञे रात्रि को नाम तस्यार्थे प्राणव्यये नोत्सहेत ॥25॥
अन्वयार्थ :- (तेन) उस (जलधेन) बादल से (किम्) क्या (य:) जो (काले) समय पर (न) नहीं (वर्षति) ।
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