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समाज का इतिहास /15
अलीगढ़ मेले के अवसर पर मथुरा, आगरा, हाथरस, अलवर, दिल्ली, पलवल, चन्दौसी, मुरादाबाद, सासनी, भिवानी इत्यादि स्थानों के खण्डेलवाल पंचों ने महासभा की स्थापना का अनुमोदन किया। इसके अतिरिक्त महासाग की स्थापना के लिये जैन समाज के प्रमुख
श्रेष्ठीगण
ब्यावर, सेठ फूलचन्द जी अजमेर, मुंशी मूलचन्द जी
लक्ष्मीचन्द, मूलचन्द उज्जैन, राजमल जी बाकलीवाल चतरलाल जी वैद - पारसोली, रायबहादुर सेठ टीकमचन्द जी सोनी वकील- मथुरा. पं. गणेशीलाल जी अलवर सेठ लक्ष्मीचन्द जी लुहाडिया - देहली, सेठ गंभीरमल जी पाण्ड्या - कलकत्ता, सेठ चैनसुख जी छाबड़ा सिवनी, सेठ केशरीमल सेठी - गया, सेठ लालचन्द जी पाटनी छिन्दवाडा, लाला मिश्रीलाल जी सौगानी हाथरस, बाबू गोपीलाल जी गोधा लशकर, मास्टर पांचूलाल जी काला- जयपुर, पं. इन्द्रलाल जी शास्त्री जयपुर, पं. उदयलाल जी कासलीवाल बम्बई, सेठ बाबूलाल जी काला प. पन्नालाल जी सोनी, सेठ मिश्रीलाल जी बाकलीवाल, सेठ चांदमल जी अजमेरा, सेठ मोहनलाल जी मच्छी, सेठ कल्याण मल जी इन्दौर, सेठ बालचन्द जी सेठी झालरापाटन, सेठ राजमल जी सेठी नसीराबाद, सेठ बनजीलाल जी ठोल्यां जयपुर, सेठ कुन्दनमल नांदमल जी अजमेरा अजमेर, पंडित पन्नालाल बाकलीवाल आदि अनेक महानुभावों ने भी महासभा स्थापना पर जोर दिया।
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जैन खण्डेलवाल महासभा का प्रथम अधिवेशन दिनांक 27/11/1920 से 1 दिसम्बर 1920 तक पांच दिनों का यह अधिवेशन सेठ लालचन्द जी सेठी झालरापाटन वालों के सभापतित्त्व में कलकत्ता में सम्पन्न हुआ | इसमें बम्बई, खानदेश, मध्यप्रदेश, बिहार, राजस्थान, पंजाब, दिल्ली, उत्तरप्रदेश, बंगाल, बिहार, आसाम, मणिपुर आदि सुदूर प्रान्तों के कार्यकर्त्ताओं ने भाग लिया।
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इसी अधिवेशन में महासभा के पाक्षिक पत्र " खण्डेलवाल जैन हितेच्छु" निकालने का निर्णय किया गया। प्रान्तीय सभाओं के लिये 15 प्रान्तों को नियत किया गया। उनमें बिहार, उड़ीसा प्रान्त के भाइयो ने उसी समय कलकत्ते में ही सेठ रतनलाल जी पाण्ड्या रावीवालों के सभापतित्त्व में प्रान्तीय सभा की स्थापना घोषित करदी। इसी तरह पंजाब प्रान्त के प्रतिनिधियों ने भी उसी अवसर पर सेठ काजूराम जी बड़जात्या भिवानीवालों के सभापतित्व में पंजाब प्रान्तीय सभा की स्थापना करली |
बंगाल एवं आसाम प्रान्त
बिहार एवं उड़ीसा
जाति सुधार के अनेक प्रस्ताव इस अधिवेशन में पास किये गये और इस तरह के अधिवेशन सफलतापूर्वक सम्पन्न हुए। इसी अधिवेशन में देश को 15 भागों में बांटा गया। उन प्रदेशों की नामावली इस प्रकार है :
क्रम सं. प्रान्तों का नाम
संयोजक का नाम
सेठ तनसुखलाल जी पाण्ड्या कलकत्ता । श्री रामचन्द्र जी सेठी - गिरीडीह ।