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सूत्र १७६-१७७
शान-युक्त और आचार-पुक्त
ज्ञानाचार परिशिष्ट
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णाणजुत्ता-आयारजुत्ता य
ज्ञान-युक्त और आचार-युक्त १७६. (क) सारि पुरिसजाया पण्णता, तं जहा
१७६. (क) चार प्रकार के पुरुष कहे हैं, यथाजुत्ते नाममेगे जुत्ते,
एक पुरुष ज्ञान से युक्त है और आचार से भी युक्त है, असे नाममेगे अनुसे,
एक पुरुष ज्ञान से युक्त है किन्नु आचार से युक्त नहीं है, अजुने नाममेगे जुत्ते,
एक पुरुष ज्ञान से अयुक्त है किन्तु आचार से युक्त है, अजुत्ते नाममेगे अजुत्ते ।
एक पुरुप जान से भी अयुक्त है और आचार से भी अयुक्त है। ----ठाण, अ.४, उ. ३, सु. ३१६ [काल की अपेक्षा से इसाचौभंगी का अर्थ इस प्रकार होगा
एक पुरुष गृहस्थ पर्याय में धनादि से युक्त था और श्रमणपर्याव में भी जानादि से युक्त है,
एक पुरुष गृहस्थ पर्याय में धनादि से युक्त था किन्तु श्रमणपर्याय में ज्ञानादि से युक्त नहीं है.
एक पुरुष गृहस्थ पर्याय में प्रसादि से अयुक्त था किन्तु श्रमणपर्याय में ज्ञानादि से युक्त है।
एक पुरुष' गृहस्थ पर्याय में धनादि से अयुक्त या और श्रमण
पर्याय में भी ज्ञानादि से अयुक्त है।] चत्तारि पुरिसजाया पणत्ता, सं जहा
नार प्रकार के पुरुष कहे हैं, मथासमे नाममेगे तमबले,
एक पुरुष अज्ञानी है और दुराचारी है, तमे नाममेगे जोईबले,
एक गुरुष अज्ञानी है किन्तु सदाचारी है, जोई नाममेगे तमबले,
एक पुरुष ज्ञानी है किन्तु दुराचारी है, जोई नामभेगे जोई बसे ।
एक पुरुष ज्ञानी है किन्तु सदाचारी है। चत्तारि पुरिसजग्या पप्पत्ता, तं जहा---
(ख) चार प्रकार के पुरुष कहे हैं, यथा-- समे नाममेगे तमबलपलज्जणे,
एक पुरुष अज्ञानी है और उसे दुराचार में ही आनन्द आता है, तमे नाममेगे जोईबलपलगे,
एक पुरुष अज्ञानी है किन्तु उसे सदाचार में आनन्द आता है, जोई नाममेगे तमबलयलज्जणे,
एक पुरुष ज्ञानी है किन्तु उसे दुराचार में ही आनन्द आता है, जोई नाममेगे जोईवलपलज्जणे ।
एक पुरुष शानी है किन्तु उसे सदाचार में ही आनन्द आता है। -ठाणं, अ. 6, उ. ३, सृ. ३२७ णाणजुत्ता--णाणपरिणता य .
ज्ञान-युक्त और ज्ञान परिणत१७७. चत्तारि पुरिसजाया पग्णता, तं जहा
१७७. चार प्रकार के पुरुष कहे हैं, यथासुते नाममेगे जुत्तपरिगए,
___एक पुरुष ज्ञानादि से युक्त है और ज्ञानादि की परिणति से
भी युक्त है, जुत्ते नाममेगे अजुत्तपरिणए,
एक पुरुष ज्ञानादि से युक्त है किन्तु ज्ञानादि की परिणति से
युक्त नहीं है, अजुत्ते नाममेगे जुत्तपरिगए,
एक पुरुष ज्ञानादि से अयुक्त है किन्तु ज्ञानादि की परिणति
से युक्त है, अजुत्ते नाममेगे अकुत्तपरिणए।
एक पुरुष ज्ञानादि से भी अयुक्त है और ज्ञानादि की परिणति -ठाणं. अ. ४, उ. ३, सु. ३१६ से भी अयुक्त है।