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परमानुयोग
एक-दूसरे के गडादि की चिकित्सा करने के प्रायश्चित्त पुत्र
सूत्र३६८-३६६
ग्णयरेणं आलेवबजाएक, आलिपित्ता वा, विलिपित्ता वा, रोल्लेण वा-जायणवणीएग वा, अग्नंगेसा बा, मक्वेता वा अण्णयरेणं घूवगनाएणं,
धूवेज वा, पधूनेज्ज वा. धूवंतं ना, पधुवंतं वा साइजह ।
अन्य किसी एक लेप का, लेप कर, बार-बार लेप कर, तेल-याव-मक्खन, मलकर, बार-बार मलकर, किसी एक अन्य प्रकार के धूप से, धूप दे, बार-बार धूप दे, धूप दिलावे, बार-बार धूप दिलावे,
धूप देने वाले का, बार-बार धूप देने वाले का अनुमोदन करे।
उसे मासिक उद्घातिक परिहारस्थान (प्रायश्चित्त) आता है। एक दूसरे के गण्डादि की चिकित्सा करने के प्रायश्चित्त
सं सेवमाणे आवमा मासियं परिहारहाणं उग्धाइयं ।
-नि.उ. ३. सु. ३४-३६ अण्णमण्ण-गबाइ-तिगिच्छाए पायच्छित्त-सुताई
३६६. जे भिक्य अण्णमण्णस्त कार्यसि नरवा, पिसंग का, अययं ३६१. जो भिक्षु एक दूसरे के शरीर पर हुए गण्ड-यावत्बा, असियं वा, भगवलं वा,
भगन्दर को-- अन्नपरेग सिक्लेणं सत्यजाएणं,
किसी एक प्रकार के तीक्ष्ण शस्त्र से, अपिछज्ज वा, विग्छिवेज वा
छेदन करे, बार-बार छेदन करे,
छेदन करवाये, बार-बार छेदन करवाये, मरिचसं बा, बिसिछत वा साइज्जद ।
छेदन करने वाले का, बार-बार छेदन करने वाले का अनु
मोदन करे। जे भिक्षु अण्णमण्णस्स कायंसिर वा-जाब-मगंवर वा जो भिक्षु एक दूसरे के पारीर पर हुए गण्ड -यावत--
भगन्दर कोअनयरेणं तिकोणं सस्थमाएणं,
अन्य किसी प्रकार के शस्त्र से, अग्छिवित्ता वा, विच्छिदता दा,
छेदन करके, बार-बार छेदन करके, पूर्व वा सोणियं वा,
पीप या रक्त को, मीहरेज्म वा, विलोहेक्ज वा,
निकाले, गोधन कर,
निकलवावे, शोधन करवावे, नीहरतं वा, विसोत वा साइजइ।
निकालने वाले का, शोधन करने वाले का अनुमोदन करे। जे भिक्खू अण्णमणस्स कासि-गंडं या-जाव-मगंबल बा, जो भिक्षु एक दुसरे के शरीर पर हुए गाड-पावत
भगन्दर कोअन्नपरेग सिखेगं सस्पजाएणं,
अन्य किमी प्रकार के तीक्ष्ण शस्त्र से, अपिछरित्ता वा, विच्छिविता बा,
छेदन कर, बार-बार छेदन कर, पूर्व वा सोणियं वा,
पीप या रक्त को, नीहरिता वा, विसोहेत्ता वा,
निकालकर, शोधन कर, सीओवग-धियडेण गा, उसिगोग-विपडेग वा.
अचित्त शीत जल से या अचित्त उष्ण जल से, उच्छोलेज मा, पधोएज्जबर,
धोये, बार-बार धोये,
धुलवावे, बार-बार धुलदरावे, उन्होलेत का, पोएत वा साइब ।
धोने वाले का, बार-बार घोने वाले का अनुमोदन करे ।