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चरणयोग
पोयल एमखेवणाईए पछि सुताईजे भिक्खू माजगाम मेहुणवडियाए अमणभाई पोग्गलाई नोहर, नोहरं वा सा ज्जइ ।
मेडिया
पुगल प्रक्षेपणादि के प्रायश्वित सूत्र
जेमिमा
उकिरड, उवरितं वा साइज
मोगलाई
तं सेवमाणे आवज्ज चाउम्मासयं परिहारट्ठाणं अणुग्धाइयं । - नि. प. ७, सु ८०-८१ पपक्खीण अंग संचालणाई पायच्छित्त सुत्ताईजे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अलयरं पसुजायं वा या पक्स का पुष्ांस का सीसंसि वा गहाय संचाले संचालतं वा साइज्जइ ।
जे भिक्खु भाग्ामहल मेहणवडियाए अग्नयर सुजायं वा परजायं वा, सोमंसि कहें या कलिचं वा, अंगुलियं वा सागं या अणुष्पवेसिता संचालेह, संचालेलं वा साइज्जइ ।
जेमिमाह मेवडियाए अन्य नावा पविसजाय वा अयसिरियत्ति कट्टु आलिंगेज्ज वा परिस्सएज्ज वा परिचुम्बेज वा छिदेज्ज वा विच्छिदेज्ज वा आलिगंत या परिस्तयंतं वा परिघुवंतं वा छितं वा विच्छिवंत या साइज्ज
तं सेवमाणे आवश्य धाउम्मासि यं परिहारट्ठाणं अणुग्धाइयं । - नि. उ. ७, सु. ८२-८४ भत्तपाणाई आयाण पवाण करणं पायच्छित्त साई
भगवविपाए असणं बाजार-साइ या देह देतं वा साइज ।
जे मिक्लू मागामस्स नेणवडियाए असणं वा जाव - साइमं वा, परिच्छ, परिच्छ वा साइन ।
जे भिक्खू माजगामस्त मेणवाडयाए वत्थं वा जाव-पायया वा साइ
जे भिक्खू माउन्गामस्स मैगवजियाए हथं वा जाब-पायगं वा पहियाहेडा
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परिशिष्ट १
युगल प्रक्षेणादि के प्रायश्चित सूत्र
जो भिक्षु स्त्री के साथ मधुन सेवन के संकल्प से अमनोज गजों को निवाला है या निकालने वाले का अनुमोदन करता है ।
जो भिक्षु स्त्री के साथ मैथुन सेवन के संकल्प से मानोश पुगलों का प्रक्षेप करता है या प्रक्षेप करने वाले का अनुमोदन करता है ।
उसे चातुमशक अनुपातिक परिहारस्थान (प्रायश्चित) आता है। पशुपक्षियों के अंग संचालनादि के प्रायश्चित्त सूत्र
जो शुत्रा मैसे किसी भी जाति के पशु या पक्षी के (१) पाँच को (२) को), (३) पूंछ को था ( ४ ) मस्तक को पकड़कर संचालित करता है या संचालित करने वाले का अनुमोदन करता है ।
जो भिक्षु स्त्री के साथ मैथुन सेवन के संकल्प से किसी भी जाति के पशु या पक्षी के श्रोत अर्थात् अपान द्वार था योनिद्वार में काष्ठ, पत्री, अंगुली या बेंत आदि की शलाका प्रविष्ट करके संचालित करता है या संचालित करने वाले का अनुमोदन करता है ।
जो शिक्षु स्त्री के साथ मैथुन सेवन के संकल्प से किसी भी जाति के पशु या पक्षी को "यह स्त्री है" ऐसा जानकर उसका आलिंगन (शरीर के एक देश का स्पर्श) करता है, परिष्वजन (पूरे शरीर का स्पर्श करता है, मुख का चुम्बन करता है या नख आदि से एक बार या अनेक बार छेदन करता है या आलि गन आदि करने वाले का अनुमोदन करता है ।
उसे चानुमसिन अनुद्धांतिक (परिहारस्थान) आता है ।
भक्त-मान आदि के वादान-प्रदान करने के प्रायश्चित
सूत्र—
जो भिक्षु स्त्री के साथ मैथुन सेवन के संकल्प से उसे अशन - यावत्-- स्वाव देता है या देने वाले का अनुमोदन करता है । जो भी केस मेन सेवन के से उससे अशन — यावत्-स्वाद्य ग्रहण करता है या ग्रहण करने वाले का अनुमोदन करता है।
जो भिक्षु स्त्री के साथ मैथुन सेवन के संकल्प से उसे वस्त्र - यावत्-पादपोंछन देता है या देने वाले का अनुमोदन
करता है ।
जो भिक्षु स्त्री के साथ मैथुन सेवन के संकल्प से उससे वस्त्र - यावत्पादप्रोछन ग्रहण करता है या महण करने का अनुमोदन करता है ।