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सूत्र २३२-२३३
निषित पत्र के प्रायश्चित्त सूत्र
चारित्राचार : एषणा समिति
[६६३
(१) अयपायाणि (२) उपाचाणि वा,
(१) लोहे के पात्र, (२) रांगे के पात्र, (३) तंबपायाणि वा, (४) सीसगपायाणि वा, (३) तांबे के पात्र, (४) सीसे के पात्र, (५) हिरणपायाणि वा, (६) सुवण्णपायाणि सा, (५) चांदी के पात्र, (६) सोने के पात्र, (७) रोरियपायाणि वा,
(७) पीतल के पात्र, (८) हारपुडपायाणि वा,
(८) हारपुट अर्थात् मणी रत्न जटिन लोहादि के पात्र, (६) मणिपायाणि षा, (१०) कापपायागि वा,
(8) मणि के पात्र, (१०) कांच के पात्र, (११) सपायाणि वा. १२) संबपायाणि वा,
(११) कासे के पात्र, (१२) शंख के पात्र, (१३) सिंगयायाणि या, (१४) तपायाणि था,
(१३) सींग के पात्र, (१४) दांत के पात्र, (१५) चेलपायाणि पा. (१६) सेलपाणि वा,
(१५) वस्त्र के पात्र, (१६) पत्थर के पात्र, (१७) चम्मपायाणि वा,
(१७) चमड़े के पात्र, अग्णपराई वा बहप्पगाराहं विश्वश्वाई महाणमोल्लाई अपना दूसरे भी इसी तरह के नाना प्रकार के महामूल्मवान् पायाई अफासुयाई-जान-मो पडिगाहेज्जा।
पात्रो को अप्रासुक जानकर-यावत्-ग्रहग न करे । से भिक्खू वा, भिक्खूणी सा से जाई पुण पायाई भाणेज्जा गृहस्थ के घर में पात्र के लिए प्रविष्ट भिक्ष, या भिक्षणी विरूवरूवाई महखणबंधणाई तं जहा–अयबंधषाणि वा उन पात्रों को जाने जो नाना प्रकार के महामूल्यवान् बन्धन वाले -जान-बापजातिमा नरागानगप्पगाराष्टं विरूव- है, जैसे कि - लोहे के बन्धन वाले यावत् -चन के बन्धन रूवाई महबणबंधगाई पाराई अफासुयाई-जावणो पउिगा- वाले अथवा अन्य भी इसी तरह के नाना प्रकार के महमूल्यवान्
हेजा। -आ. सु. २, अ. ६. उ. १, मु. ५६२-५६३ बरधन बाले पात्रों को अप्रामुक जानकर-पावत्-ग्रहण न करे । णिसिद्ध पाय पायच्छित सुताई
निषिद्ध पात्र के प्रायश्चित्त सूत्र२३३, जे मिक्लू
२३३. जो भिक्ष - (१) अय-पायाणि वा, (२) तउय-पायाणिवा, (१) लोहा के पात्र, (२) रांगा के पात्र, (३) तंव-पायाणि वा, (४) सीसा पायाणि वा, (३) तांबा के पात्र, (४) सीमा के पात्र, (५) हिरण-पायागि वा, (६) सुवण्ण-पायाणि वा, (५) चांदी के पात्र, (६) सोना के पात्र, (७) रोरिय-पायाणि वा.
(७) पीतल के पात्र, (6) हारपुड-पायाणि वा,
(८) गणी रत्न जटित लोहादि के पार, (६) मणि-पायाणि वा, (१०) काय-पायागि वा, (6) मणि के पात्र, (१०) कांच के पात्र, (११) कंस-पायाणि वा, (१२) संख-पायागि था, १११) कांसा के पात्र, (१२) शंख के पार, (१३) सिंग-पायाणि वा, (१४) दंत-पाचाणि वा, (१३) सिंग के पात्र, (१४) दांत के पात्र, (१५) चेल-पायाणि वा, (१६) सेल-पायाणि वा, ११५) वस्त्र के पात्र (१६) पत्थर के पात्र, (१७) चम्म-पायाणि वा।
(१७) चनं के पात्र तथा अण्णयराणि वा तहप्पगाराणि पायाणि करेइ, करेंतं वा अन्य भी इस प्रकार के पात्र करता है, करवाता है या करने साहज्जइ।
वाले का अनुमोदन करता है। जे भिक्खू अय-पायाणि वा-जाब-अण्णयराणि वा तहप्पगाराणि जो भिक्ष, लोहे के पात्र-यावत्-अन्य भी इस प्रकार के पायाणि वा घरे, धरतं वा साइज्जइ।
पात्र रखता है, रखवाता है या रखने वाले का अनुमोदन
करता है। जे मिक्स मय-बंधणाणि वा-जाव-बंधणाणि वा फरेइ, करतं जो भिक्ष पात्र को लोहे के बन्धन-पावत्- अन्य भी इस वा साइजइ।
प्रकार के बन्धन लगाता है, लगवाता है रा लगाने वाले का अनुमोदन करता है।
१ अंक पायाणि और वदर पापाणि दो पात्रयावक भब्द निशीय सूत्र की अनेक प्रतियों में अधिक मिलते हैं ।