Book Title: Charananuyoga Part 1
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Agam Anuyog Prakashan

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Page 758
________________ ७२६] चरणानुयोग निषिद्ध स्थानों पर उच्चार प्रलवण परिष्ठापन के प्रायश्चित्त मूत्र निषिद्ध परिष्ठापना सम्बन्धी प्रायश्वित्त - ४ सिद्धठाणे उच्चारा-परिवणस्स पायच्छित सुताई- निविय स्थानों पर उधाण परिष्ठापन के प्राय शिवसूत्र ३०५. (१) जे भिक्खू गिनि वा गि मुहंसि वर, गिह-दुबारियंसि रामायण ३०५. जो भिक्षु घर में, घर के मुँह पर घर के द्वार पर घर के प्रतिद्वार पर घर के द्वार के साथ के स्थान में, घर के आंगन गिह- बच्चसि वा उच्चार पासवणं परिवेह परिट्टतं वा में घर की शेष भूमि में मल-मूत्र परता है, परठवाता है या रहने वाले का अनुमोदन करता है । साइज्जद । (२) परिका निसा भडग-लेणंसि वा महवच्चसि श, उच्चार पासवणं परिबेश परिद्वत वा साइज्जइ । (३) जे भिक्खू इंगाल-दाहंसि वा खार दाहंसि वा, गात दाहंसि वा तुसवाहंसि था. सदाहंसि वा उच्चार- पासवर्ण परिवेद, परितं वा साइज्ज । (४)विधावा बोला अभि विमा वा मट्टिया साणि परिमाणवा भुज्यमाना वा उपरि साइज्जइ । जो भिक्षु मुर्दाघर में, मुर्दे की रास पर, मुर्दे के स्तूप पर, मुर्दे के आश्रय स्थान पर, मुर्दे के समन पर गुर्दे के स्थण्डिल पर शमशान के चौतरफ की भूमि पर मल-मूत्र परठता है। परवाता है या रटने वाले का अनुमोदन करता है। जो को बनाने की भूमि पर भी धार आदि बनाने की भूमि पर पशुओं को डसने की भूमि पर तु जलाने की भूमि गर, भूसा (अनाज का छिलका) जलाने की भूमि पर मल-मूत्र परता है, परठवाता है या परहने वाले का अनुमोदन करता है । जो भिक्षु, नवीन हल चलाई भूमि में या नवीन मिट्टी की असान में हाँ किन के लिये जाते हों या नहीं क परि है अनुमोदन करता है । जो भिक्षु, नमी वाली भूमि पर कीचड़ पर पलक पर मल-मूत्र परठता है, परनाता है या परने वाले का अनुमोदन करता है । (५) जे भिक्खू सेयायणंसि वा पंर्कसि या पणगंसि वा उपचारास परिसि सूत्र ३०५ (६) जे भिक्खू उंबर बच्चंसि वा पग्गोह-वसि वा असोरथ वंस व पिलखु-बच्चंसि वा उच्चार- पासवर्ण परिवेड परि या साइ www. (७) जे भिक्खू डाग वच्तंसि वा, साग-बच्वंसि वा मूलयgreat व कोभरि बसि वा खारवत्वंसि वा जीरय- बच्चति वा, दमण-बच्वंसि वा मरुग-बच्वंसि वा उच्चार पासवर्ण परिवेद परिवेल वा साइज्ज (c)वता पालवर्णति बा वासवति वा उपचारासरणं परिवेष परि वा साइज्जइ । (१) अोगवति या विवा चंपग वर्णसि वा धूप-वर्णसि वा अरणयरेसु वा तत्पगारेसु वा पत्तोबएसु, पुष्कोषएसु, फलोबएसु, बीओएस उच्चार पासवणं परिद्ववेइ, परिद्वर्वेत या साइज्जइ । जो भिक्ष उंबर ( गूलर), बड संग्रह करने के स्थान पर मल-मुत्र परने वाले का अनुमोदन करता है। जो भी ले, कोसुंबर, भागा, जीरा, दमक (सुगन्धित वनस्पति विशेष ) मरुग ( वनस्पति विशेष) के संग्रह के स्थान या उत्पन्न होने की वाडियों में मल-मूत्र परठता है, परठवाता है या पठने वाले का अनुमोदन करता है । पर है पता है याने वाले का अनुमोद जो भाई शालि कुसुंभ या कास के खेत में मलकरता है । पीपल और पीपली के फूल परठता है, परवाता है या जो मन में वन में चं आम्रवन में, या अन्य भी ऐसे स्थल जो कि पत्र, पुष्पा, फल और बीज आदि से युक्त हीं वहाँ मल-मूत्र परता है, परदवाता है या पठने वाले का अनुमोदन करता है।

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