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सूत्र.२६६-२७१
काष्ठदार वाले पावमोचन के प्रायश्चित्त सूत्र
चारित्राचार : एषणा समिति
[७०६
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कप्पद निग्गंधाणं दारूदासयपायछणं धारेत्तए वा परिहरि- किन्तु निर्ग्रन्थ (साधुओं) को दारूदण्ड वाना पादोंछन तए वा।
-कप्प. उ. इ., स. ४४-४५ रखना या उसका उपयोग करना कल्पता है। दारूबण्डग पायपुंछणस्स पार्याच्छत्त सुत्ताई
काष्ठ दण्ड वाले पादपोंछन के प्रायश्चित्त सूत्र२७०. (१) जे भिक्खू वारूबाइयं पाहणं करेइ, करेंत या २७०. १. जो भिक्ष, काष्ठ दण्डवाला पादप्रोमछन करता है, साइजह ।
करवाता है करने वाले का अनुमोदन करता है। (२) जे भिक्खू दारू पायपुछ सिह, pिar २. लक्ष काष्ठदण्ढ़ वाला' पादपोञ्छन ग्रहण करता है। साइजइ।
करवाता है, करने वाले का अनुमोदन करता है। (३) जे भिक्खू दारुदण्उयं पायपुंछणं धरैइ, घरेतं वा ३. जो भिक्ष काष्टदण्ड वाला पादप्रोग्छन धारण करता है, साइक्जा।
करवाता है, करने वाले का अनुमोदन करता है। (४) जे भिक्खू दारूदण्डयं पायपुंछग वियर वियरेतं वा ४. जो भिक्ष काष्ठदण्ड बाला पादप्रोञ्छन दूसरों को ग्रहण साइम्जा।
करने को अनुज्ञा देता है, दिलवाता है, देने वाले का अनुमोदन
करता है। (५) से मिरवू शकवण्यं पायपुंछग परिमाएह, परिभायंतं ५. जो भिक्षु काठ दंडवाले पादप्रोग्छन को देता है, दिनबा साइजह ।
बाता है. देने वाले का अनुमोदन करता है। (६) जे भिक्खू दारूण्डयं पावपुंछणं परिमुंजइ, परिभुजतं ६. जो भिक्षु काष्ठदंड वाले पादप्रोग्छन का परिभोग करता या साइज्ज
है, करवाता है, करने वाले का अनुमोदन करता है। (७) जे भिक्खू वाहवण्डयं पायपुंरुणं पर विवड्डालो मासाओ ७. जो भिक्षु काष्ठ दंड वाले पादप्रोञ्छन को डेढ़ मास से धरेह, धरतं वा साइज्जइ।
अधिक धारण करता है, करवाता है, करने वाले का अनुमोदन
करता है। (८) जे भिक्खू दारूवण्यं पायधूछम विनुपावेड, विसुयावेत ८, जो भिक्षु काष्ठ दंड वाले पादपोञ्छन को धूप में सुखाता वा साइजा।
है, सुखदाता है, सुखाने वाले का अनुमोदन करता है। तं सेवमाणे आवजह मासियं परिहारहाणं उग्याइयं । उसे मासिक उद्घातिक परिहारस्थान (प्रायश्चित्त)
-नि. उ. २, सु. १-८ अता है। पायपुंछणं न पच्चप्पिणंतस्स पायच्छित सुत्ताई-- पदोंछन के न लौटाने का प्रायश्चित्त सूत्र२७१. जे भिक्खू पडिहारिये पामपुंछणं जाहत्ता-तामेव रयणी २७१. जो भिक्षु प्रातिहारिक पादप्रोञ्छन की याचन करके इसे
पञ्चप्पिणिस्सामि ति" सुए पच्चप्पिणा पञ्चप्पिणतं वा "आज ही लोटा दूंगा" ऐसा कहकर कल लौटाता है, लौटवाता साइम्जा।
है लौटाने वाले का अनुमोदन करता है। जे भिक्खू पाहिहारियं पायपुंछणं जाता "सुए पच्चप्पि- जो भिक्षु प्रतिहारिक (लोटाने योग्य) पादप्रोग्छन की णिस्सामि ति" तामेव रयणि पच्चम्पिण पम्वपिणतं वा याचना करके कल लौटा दूंगा ऐसा कहकर उसी दिन लौटाता साइम्जद।
है. लोटवाता है, लौटाने वाले का अनुमोदन करता है। मे मिक्खू सागारियसंतियं पापपुर्ण जाइत्ता 'तामेव रणि जो भिक्षु शय्यातर के पादत्रोञ्छन की याचना करके आज ही पञ्चप्पिणिसामि ति" सुए पच्चप्पिणतं वा सादरमहा लोटा दूंगा ऐसा कहकर कल लौटाता है, लौटवाता है, लौटाने
वाले का अनुमोदन करता है। जे मिक्खू सागारियसंतियं पायपुंछणं जाइत्ता "सुए पच्चप्पि- जो भिक्षु शय्यातर के पादप्रोञ्छन की याचना करके "कल णिस्सामि ति" तामेव रणि पच्चप्पिणइ पच्चप्पिणतं वा लोटा दूंगा" ऐसा कहकर उसी दिन लोटाता है, लौटवाता है, साइजह ।
लौटाने वाले का अनुमोदन करता है। तं सेवमाणे आषमा मासियं परिहारहाणं उघाइय। उसे मासिक उद्घातिक परिहारस्थान (प्रायश्चित्त)
-नि. उ.५, सु. १५-१५ आता है।
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