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सूत्र ५८२-५८४
विभूषा के संकल्प से उत्तरोष्ठावि रोमों के परिकर्म के प्रायश्चित्त मूत्र
चारित्राचार
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जे मिक्ल विसावडियाए अप्पगो उ?
जो भिक्ष विभूषा के संकल्प से अपने होठों परलोण वा-जाव-बग्ण वा,
मोघ का यावत्-वर्ण का, गल्लोलेम्जमा, उम्बट्टज्ज वा,
उबटन करे, बार-बार उबटन करे,
उबटन करवाने, बार-बार उबटन करवाये, उत्तोलेंतं वा, उन्बत का साइन्जाइ।
सबटन करने गले का, बार-बार उबटन करने वाले का
अनुमोरन करे। मे भिम विभूसावदियाए अप्पणी उदु
जो भिक्षु विभूषा के संकला से अपने होठों कोसीमोदग-वियोण वा, उसिषोबग-वियष वा,
मचित्त शीत जल से या मचित्त उष्ण उस से, छोसेक्ज बा, पनोएज्जया,
पोये, बार-बार धोये,
धुलवावे, बार-बार खुलवावे, उच्छोलतं वा, पोएतं वा साइजह ।
धोने वाले का, बार-बार धोने वाले का अनुमोदन करें। मे भिक्खू विभूसावग्यिाए अपणो न8
ओ भिक्षु विभूषा के संकल्प से अपने होठों कोफमेन ना, रएज्म वा,
रंगे, बार-बार-बार रंगे,
रंगवावे, बार-बार रंगवावे, फूमत बा, रएंत वा साइजह ।
रंगने वाले का, बार-बार रंगने वाले का अनुमोदन करें। सं सेवमाणे आवाइ चाउम्मासिय परिहारट्ठाणं जपाइयं । उसे चातुर्मासिक उद्घातिक परिहारस्थान (प्रायश्मित्त)
-नि. उ. १५. सु. १३४-११६ आता है। विभूसावडियाए उत्तरोटाई रोमाइं परिकम्मस्स पायच्छित्त विभूषा के संकल्प से उत्तरोष्ठादि रोमों के परिकर्म के सुताई
प्रायश्चित्त सूत्र५८३. जे भिक्खू विभूसावडियाए मप्पणो दोहाई उत्तरोदाई ५५३. जो भिक्ष विभूषा के संकल्प से अपने उत्तरोष्ठ रोमों के रोमा--
(होठ के नीचे के) लम्बे रोमकम्पेन वा, संठवेज वा,
काटे, सुशोभित करे, कटवाने, सुशोभित करवावे, कप्तंबा, संठतं वा साइन ।
काटने वाले का, सुशोभित करने वाले का अनुमोदन करे। [भिन्न विभुसावरियाए अप्पगो हाहं नासा रोमाई- (जो भिक्ष विभूषा के संकल्प से अपने नासिका के लम्बे
रोमों कोकम्पेक्त वा, संठवेज वा.
काटे, सुशोभित करे, कटबावे, सुशोभित करवाये, कध्येतंबा, संम्वेतबा साइजद
काटने वाले का, सुशोभित करने वाले का अनुमोदन करे । त सेवमाणे भावना चाजम्माप्ति परिहारट्टाणं उग्याइयं । उसे चातुर्मासिक उद्घातिक परिहारस्थान (प्रायश्चित्त)
-नि. उ. १५, मु. १४० आता है। विभूसाडियाए बंत परिकम्मस्स पायच्छित सुत्ताइ- विभूषा के संकल्प से दांतों के परिकर्म के प्रायश्चित्त
५४. भिम विभूसाबखियाए अपणो रते
मासेज्नबा, पयंसेक्जमा,
माधंसतं षा, पर्थसतं या साइम्स। बेमिकविसावरियाए अपणो बतेसछोलेन्सबा, पीएग्ज वा,
५८४. जो भिक्षु विभूषा के संकल्प से अपने दांतों को
घिसे, बार-बार घिसे, पिसमावे, बार-बार पिसवावे, घिसने वाले का, बार-बार घिसने वाले का अनुमोदन करे । जो मिन विभूषा के संकल्प से अपने दांतों को-- घोए, बार-बार धोए, घुलवावे, बार-बार धुनवावे, घोने वाले फा, बार-बार धोने वाले का अनुमोदन करे।
ज्योमबापोएं या माना।